कानपुर(ब्यूरो)। कानपुर कमिश्नरेट में क्राइम की रफ्तार बेकाबू हो गई है। हर एरिया में ताबड़तोड़ वारदातें हो रही हैं। हत्या, लूट, डकैती, रेप, चोरी की वारदातों से दहशत का माहौल है। वहीं साइबर क्राइम की वारदातों की तो बाढ़ आई हुई है। चकेरी के लोहा कारोबारी की हत्या का मामला हो या सचेंडी में एसबीआई में एक करोड़ की चोरी। कमिश्नर आवास के पास बोरे में टुकड़ों में मिले शव का मामला हो या चकेरी में ब्यूटी पार्लर संचालिका की हत्या का। इस तरह के दर्जनों मामले पेंडिंग हैं। पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। साइबर ठगी के मामलों में कहीं साइंटिफिक रिपोर्ट न आने से तो कहीं इविडेंस न मिलने की वजह से पुलिस के हाथ बंध गए हैं। लेकिन, फाइनल रिपोर्ट कार्ड बेहतर रहे इसलिए कमिश्नरेट पुलिस जीडी से क्राइम नंबर का निस्तारण करने के लिए चार्जशीट से ज्यादा फाइनल रिपोर्ट लगा रही है।


खाकी पर सवाल तो उठेंगे
इस साल कमिश्नरेट के सभी थानों को मिलाकर पुलिस ने 9098 मामले दर्ज किए हैं। ये आंकड़ा 22 अगस्त तक का है। इन मामलों में 4219 में तो पुलिस को कोई सबूत, गवाह नहीं मिले या फिर केस को आगे चलाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं मिला तो फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई। वहीं 3877 में चार्जशीट लगाकर कोर्ट में ट्रायल शुरू किया गया। 1002 मामलों में विवेचना चल रही है। जबकि पुलिस को ज्यादा से ज्यादा मामलों में चार्जशीट लगाकर अपराधियों को सजा दिलवानी चाहिए। आंकड़ों को देखें तो 50 परसेंट मामलों में भी पुलिस चार्जशीट नहीं लगा पाई। जिससे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लाजिमी हैं।

चकेरी में सबसे ज्यादा पेंडेंसी
चकेरी थाने की बात की जाए तो यहां 22 अगस्त तक 708 केस दर्ज किए गए। क्राइम दर्ज करने में ये थाना सबसे अव्वल है। वहीं इस थाने में 300 से ज्यादा केस पेंडेसी भी हैै। लोहा व्यापारी को लूटकर हत्या और दो दर्जन से ज्यादा चोरी की वारदातें चकेरी पुलिस की कार्यशैली बताने के लिए काफी हैं। वहीं साइबर क्रिमिनल्स ने भी चकेरी का नाम ऊंचा कर रखा है। दूसरे नंबर पर 442 केस दर्ज कर नौबस्ता थाना है जहां 286 मामलों फाइनल रिपोर्ट लगाई गई है। तीसरे नंबर पर 418 केस दर्ज कर घाटमपुर थाना है, जहां 205 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगाई गई है।

साइंटिफिक रिपोर्ट में देरी से
टेक्निकल क्राइम के बढऩे की वजह से खुलासे के बाद सजा दिलाना बड़ी बात है, इसलिए पुलिस साइंटिफिक इविडेंस भी कलेक्ट कर रही है। इसे जांच के लिए दूसरे जिलों की फोरेंसिक लैब में भेजा जाता है, जिसकी रिपोर्ट आने में समय लगता है। विवेचकों का मानना है कि पहले तीन महीने में चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट लगा दी जाती थी, लेकिन अब रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ता है, जब तक रिपोर्ट न आ जाए तब तक मामले में विवेचना चलती रहती है। वहीं साइबर मामलों में जांच कर रहे विवेचनाधिकारी ने बताया कि साइबर के मामलों में वर्कआउट का प्रोसेस बड़ा है। बैैंकों में पैसा होल्ड होने की वजह से लोगों की परेशानी बढ़ गई है।


नए कमिश्नर ने दिखाई सख्ती
हालांकि ये मामला कमिश्नरेट पुलिस की इंटर्नल पॉलिसी का है लेकिन शहर में नए आए पुलिस कमिश्नर का रुख इसे लेकर सख्त दिखाई दे रहा है। उन्होंने मातहतों से क्राइम की अनसुलझी वारदातों पर गंभीरता से काम करने के लिए कहा है। नए कमिश्नर की मंशा को भांपते हुए थानेदारों ने अपनी स्पीड दिखानी शुरू कर दी है।

सबसे कम क्राइम वाले 10 थाने
छावनी -58
सीसामऊ -51
फीलखाना - 61
बजरिया - 81
अनवरगंज - 75
चमनगंज - 85
हरबंश मोहाल - 91
फजलगंज -91
रायपुरवा - 75
कलक्टरगंज - 80


सबसे अधिक क्राइम वाले टॉप 10 थाने
नौबस्ता - 442
महाराजपुर - 318
पनकी - 380
रावतपुर - 316
कल्याणपुर - 382
बिठूर - 305
बिधनू -393
बर्रा -319
घाटमपुर - 418
चकेरी - 708

पेंडेंसी को लेकर अधिकारियों से लेकर थानेदारों तक को बता दिया गया है, साथ ही इतनी मजबूत रिपोर्ट बनाई जाए, जिससे क्रिमिनल लंबे समय तक जेल में रहे, ऐसा करने को कहा गया है।
डॉ। आरके स्वर्णकार, कमिश्नर कानपुर