कानपुर (ब्यूरो)।गोविंद नगर में फ्लैट में रहने वाले अमर भल्ला को नगर निगम ने प्रॉपर्टी टैक्स जमा करने के लिए बिल भेजा। बिल देखते ही अमर के होश उड़ गए। क्योंकि बिल था पूरे 40 हजार रुपए का। इसके बाद से अमर काम धंधा छोडक़र बिल सही कराने के लिए चक्कर काटते रहे। ये बात पिछले साल की है। जोनल ऑफिस में शिकायत करने पर आश्वासन मिला कि सही हो जाएगा। सर्वे कराने की बात भी कही गई। लेकिन न सर्वे हुआ न बिल सही हुआ तो उन्होंने टैक्स जमा नहीं किया। अब इस साल भी 40 हजार जुडक़र बिल आया है। उनका कहना है कि इस तरह तो कभी भी टैक्स जमा नहीं कर पाएंगे। बता दें कि यह समस्या सिर्फ अमर की नहीं है बल्कि सैकड़ों प्रॉपर्टी ओनर्स इससे परेशान हैं। गलत बिलिंग के कारण लोग टैक्स नहीं जमा कर पा रहे हैं। नगर निगम के सभी जोन में प्रॉपर्टी टैक्स को लेकर लगाए गए कैंप में सैटरडे व संडे को गलत टैक्स को लेकर दर्जनों कंप्लेन पहुंचीं।

रोज टरकाकर वापस भेज देते हैं
हंसपुरम में रहने वाले रजत कुमार बताते है कि वह अपने नए मकान में 2022 में रहने आए थे। नगर निगम ने उनके मकान में टैक्स 2017 से लगा दिया। नगर निगम ने हाउस टैक्स के नाम पर करीब 32 हजार बिल भेजा है। सही कराने के लिए जोनल ऑफिस में घूम रहे हैं। रोज टरका कर भेज दिया जाता है। सिस्टम पर जो बैठे हैं वह तो कहते हैं पूरा जमा होगा। हम यह चाहते हैं कि जब से हम रहने गए, बिजली का मीटर लगा उस दिन से प्रॉपर्टी टैक्स लिया जाए। हम आज ही हाउस टैक्स जमा कर देंगे।

2. मकान रेजीडेंशियल, टैक्स कॉमर्शियल
कौशलपुरी निवासी धीरेंद्र कुमार का मकान करीब 75 साल पुराना है। उन्होंने अंतिम बार 2018 में हाउस टैक्स जमा किया था। उनके मकान में एक हिस्से मेंं एक शॉप है। नगर निगम कुछ वर्षो ने उनके मकान को कॅामर्शियल घोषित कर उसने कॉमर्शियल टैक्स के लिए बिलिंग कर रहा है। जबकि उनका कहना है कि उनका पूरा मकान रेजीडेंशियल है। जिस हिस्से में शॉप है, उसका वह कामर्शियल टैक्स देने को तैयार हैं। पिछले काफी समय से वह टैक्स निर्धारित करने के लिए नगर निगम के चक्कर काट रहे है।

टारगेट से 100 करोड़ दूर
सिटी में साढ़े चार लाख प्रॉपर्टी है जिनसे नगर निगम प्रापर्टी टैक्स वसूलता है। जिसमें 55 हजार प्रापर्टी कामर्शियल है। वर्तमान में शासन ने नगर निगम को 414 करोड़ का टारेगट दिया है। जबकि टारगेट पूरा करने के लिए अब चालीस दिन ही शेष बचे है। इसके चलते नगर निगम अब अवकाश के दिन भी सभी जोनल कार्यालय में कैंप लगाकर प्रापर्टी टैक्स की वसूली में जुटा है। सैटरडे व संडे को भी सभी जोनल ऑफिस में कैंप लगाए गए। सैटरडे को करीब 81 लाख रुपये की प्रापर्टी टैक्स की वसूली हुई तो संडे को महज 50 लाख की वसूली तक ही सीमित रह गए। नगर निगम अभी भी टारगेट से सौ करोड़ रुपये दूर है।

सॉल्यूशन मिले तो टारगेट हो अचीव
सिटी में सात लाख से ज्यादा प्रापर्टी है। जबकि नगर निगम के रिकार्ड में अभी भी साढ़े चार लाख है। जिसमें कई प्रापर्टी से टैक्स की वसूली नहीं होती है और कई टैक्स के गलत निर्धारण के चलते जमा नहीं कर रहे हैं। ऐसे सैकड़ों मामले तो ऐसे हैं कि ओनर टैक्स जमा तो करना चाहते हैं लेकिन उनकी प्रॉपर्टी के टैक्स के निर्धारण में गड़बड़ी है, जिसे वह सही कराना चाहते है। उन्हें सॉल्यूशन मिले तो वह टैक्स जमा करने में पीछे नहीं है। नगर निगम की लापरवाही के चलते ऐसे लोग प्रॉपर्टी टैक्स नहीं जमा कर पा रहे हैं।