- हार्ट डिजीज होने पर ब्रेन, किडनी व पैरों का भी रखें ध्यान

- एक टेस्ट बचाएगा 500 तरह की जेनेटिक बीमारियां

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KANPUR। जल्द ही नैनो पार्टिकिल हार्ट से रिलेटेड डिजीज का इलाज करेंगे। इस एडवांस टेक्नोलॉजी को एप्रूवल के लिए एफडीए यूएसए भेजा गया है। इस टेक्नोलॉजी के तहत पेशेंट के ब्लड में कुछ ऐसे पार्टिकिल डाले जाएंगे, जो हार्ट के ब्लाकेज को साफ कर देंगे और एक सप्ताह के बाद ये पार्टिकल खुद ही शरीर से बाहर निकल जाएंगे। ये जानकारी वेडनेसडे को आईएमए सीजीपी के दौरान अपोलो नई दिल्ली से आए कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। एनएन खन्ना ने दी।

कॉम्प्लीकेशन के कम होंगे चांस

डॉ। खन्ना आईएमए के रिफ्रेशर कोर्स में आए थे। उन्होंने बताया कि रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी में रेडिएशन के चांसेज बहुत कम होते हैं। डॉक्टर्स ने नैनो रोबोट्स की टेक्नोलॉजी तैयार की है। इस टेक्नोलॉजी का एंजियोप्लास्टी में बहुत सहयोग मिलेगा। इस टेक्नोलॉजी की मदद से धमनी में ये नैनो पार्टिकिल डाल दिए जाएंगे, जो ब्लड के साथ हार्ट तक पहुंच जाएंगे। फिर जहां-जहां भी ब्लाकेज होंगे, उन्हें ये पार्टिकिल साफ कर देंगे और फिर एक सप्ताह के बाद खुद ही शरीर से बाहर निकल जाएंगे। इस टेक्नोलॉजी में कॉम्प्लीकेशन कम होंगे। एंजियोप्लास्टी इससे काफी आसान हो जाएगी, क्योंकि हार्ट की मानीटरिंग कम्प्यूटर से की जा सकेगी। उन्होंने बताया कि हार्ट में जब कभी भी धमनी की वजह से खराबी आए तो ब्रेन, किडनी व पैर का भी खास ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि धमनी से ये सारे पार्ट प्रभावित होते हैं।

1 बूंद से 500 बीमारियों का खतरा टलेगा

डॉ। खन्ना ने बताया कि जीन थेरेपी पर भी इस समय काफी रिसर्च वर्क चल रहा है। हार्ट में अगर किसी पार्ट के टिश्यू खराब हो जाएं तो इस टेक्नोलॉजी से नए टिश्यू बनाए जा सकते हैं। जेनेटिक बीमारियों को ट्रेस करने में भी ये टेक्नोलॉजी काफी मददगार साबित होगी। बच्चे के जन्म के तुरंत बाद मात्र एक बूंद खून से बच्चे को होने वाली जेनेटिक बीमारियों को ट्रेस किया जा सकता है। जिससे करीब 500 बीमारियां जो जेनेटिक वजह से हो सकती हैं। उन्हें टाला जा सकता है।

हाइपोथेरेडिसम टेस्ट जरुर कराएं

चण्डीगढ़ गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज से आईं डॉ। गुरुजीत कौर ने बताया कि जेनेटिक बीमारियां खत्म तो नहीं की जा सकती हैं, लेकिन उन्हें मैनेज जरुर किया जा सकता है। इसके लिए हाइपोथेरेडिसम टेस्ट बच्चे के जन्म के 24 घंटे के अंदर करा लेना चाहिए, इस टेस्ट से थायराइड संबंधी जेनेटिक डिसआर्डर को ट्रेस किया जा सकता है। वहीं केजीएमयू लखनऊ से आईं डॉ। उमा सिंह ने बताया कि प्रेगनेंसी के बाद डायबिटीज की समस्या महिलाओं में तेजी से बढ़ रही है।

अपर इण्डिया कराएगा टेस्ट

डॉ। गुरुजीत कौर ने बताया कि कानपुर मेडिकल कॉलेज का अपर इण्डिया शुगर एक्सचेंज अस्पताल न्यू बॉर्न बेबी की देखभाल के लिए हाइपोथेरेडिसम टेस्ट के लिए चण्डीगढ़ की मदद लेगा। अस्पताल प्रशासन यहां के बच्चों के नमूने चण्डीगढ़ में प्रोवाइड करेगा। वहां उनका टेस्ट होगा। डॉ। किरन पाण्डेय ने बताया कि इस संबंध में प्रपोजल तैयार किया जा रहा है।