कंपनी की खस्ता होती माली हालत का सीधा असर कर्मचारियों पर पड़ा और अब हज़ारों लोगों की नौकरी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। नोकिया का दबदबा खत्म होने का फिनलैंड की अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ा है।

देश के प्रधानमंत्री जिर्की केटइनेन इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि नोकिया ने फिनलैंड की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक भूमिका निभाई है। लेकिन जिस नोकिया का फिनलैंड के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में साल 2000 में चार प्रतिशत योगदान था, वहीं बीते साल 2001 में सिमटकर आधा प्रतिशत रह गया है।

नोकिया ने धन जुटाने के इरादे से अपने वैश्विक मुख्यालय को बेचने की योजना हाल ही में जाहिर की है। चीन की दिग्गज टेलीकॉम कंपनी हुवेई ने भी अपने इरादे जताते हुए कहा है कि वह मोबाइल तकनीक में फिनलैंड की दक्षता का फायदा उठाने के लिए यहां एक नया शोध और विकास केंद्र स्थापित करेगा।

नौकरियाँ जाएंगीं

इस साल जून में नोकिया ने घोषणा की थी कि नौकरियों में कटौती के अगले दौर में दुनियाभर में उसके दस हजार कर्मचारी बेरोज़गार हो जाएंगे। इनमें से 3700 नौकरियां फिनलैंड में ही जाएंगी जो नोकिया में यहां उसके कर्मचारियों की कुल संख्या का लगभग 40 प्रतिशत है।

बीते साल अप्रैल में कंपनी ने अपने ऐसे दक्ष कर्मचारियों को स्वरोज़गार के लिए प्रेरित करते हुए एक विशेष कार्यक्रम शुरु किया था और उन्हें वित्तीय मदद भी मुहैया कराई थी।

फिनलैंड में नोकिया के ये पूर्व कर्मचारी अब तक 220 से ज्यादा प्रतिष्ठान खोल चुके हैं। जोला मोबाइल के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क डिलन नोकिया के लिए दस साल तक सेन डियागो और हेलसिंकी में अपनी सेवाएं देकर बीते साल कंपनी से बाहर हुए थे। वे कहते हैं, ''ये एक रणनीतिक बदलाव है। हमें अपनी प्रतिभा, दक्षता और क्षमता का अहसास है। हम और बेहतर उत्पाद तैयार कर सकते हैं.''

फिनलैंड का भविष्य

हेलसिंकी में आयोजित 'स्लश कॉन्फ्रेंस' ने फिनलैंड के भविष्य को देखने के लिए एक नया आयाम दिया है। यहां 500 कंपनियां और 200 निवेशक जुटे जिनकी नज़र आगे कुछ बड़ा करने पर टिकी हुई है।

रोवियो के मुख्य विपणन अधिकारी पीटर वेस्टरबेका ने पांच वर्ष पहले स्लश की स्थापना की थी जिसने एंग्री बर्ड नामक वीडियो गेम बनाया था।

वे कहते हैं, ''कारोबार के हिसाब से नए-नए प्रयोग करने के लिए फिनलैंड इस धरती की सबसे बेहतर जगहों में से एक है। एंग्री बर्ड हॉलीवुड या कैलीफोर्निया की देन नहीं, स्लशी स्ट्रीट की उपज है.''

यानी नोकिया के बाद भी फिनलैंड में कुछ ऐसा हो रहा है जिसमें कारोबारी रचनात्मकता है, लेकिन क्या इस तरह के प्रयास नोकिया की तरह सारी दुनिया में नाम कमा सकेंगे या बस फिनलैंड तक ही सिमटकर रह जाएंगे, इस सवाल का जबाव मिलना अभी बाकी है।

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