कानपुर (ब्यूरो)। गर्मी की दस्तक के साथ हर साल शहर में पानी की समस्या शुरू हो जाती है। शहर के कई एरिया डार्क जोन मे हैं। भूगर्भ जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है। गंगा का वाटर लेवल कम होने से जलकल को भी रॉ वाटर खींचने में दिक्कत होती है। वहीं दूसरी तरफ शहर में गैरकानूनी तरीके से भूगर्भ जल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। सबसे ज्यादा पानी की बर्बादी होती है शहर में चल रहे गाड़ी की धुलाई करने वाले वॉशिंग सेंटर्स की। शहर के हालात को देखते हुए अब इन पर शिकंजा कसने की तैयारी हो चुकी है। भूगर्भ जल विभाग हर जोन में इन सेंटर्स की एनओसी जांचेगा। सेंटर पर कितना भूगर्भ जल दोहन किया जा रहा इसकी रिपोर्ट भी तैयार करेगा। नगर निगम ने जोनवार वॉशिंग सेंटर्स पर कार्रवाई करने को कहा है।

हर दिन लाखों लीटर पानी हो रहा बर्बाद
सिटी में भूगर्भ जल-दोहन की वजह से हर बार ड्रिकिंग वॉटर क्राइसेस बढ़ जाती है। कई एरिया में पानी का स्तर घटने से प्रॉब्लम खड़ी हो जाती है। इसके बावजूद अवैध रूप से चल रहे व्हीकल वॉशिंग सेंटर धरती की कोख को खाली करते रहते हैं। सिटी में अवैध रूप से संचालित हो रहे व्हीकल वॉशिंग सेंटर पर रोजाना करोड़ों लीटर पानी बह रहा है। एक आंकड़े के अनुसार एक कार की धुलाई में औसतन 250 लीटर पानी बहाया जा रहा है। वहीं, बाइक धोने में लगभग 55-60 लीटर पानी की बर्बादी हो रही है। जिससे समस्या बढ़ती जा रही है।

जलकल ने नहीं लिया कनेक्शन
एक्सईएन जोन-4 ने बताया कि 80 फीट रोड पर कई लोगों ने वॉशिंग सेंटर खोलकर एनक्रोचमेंट कर रखा है। सबमर्सिबल लगाकर जल दोहन भी कर रहे है। विभागीय निरीक्षण में पाया गया है कि सेंटर्स पर जलकल विभाग की ओर से पानी का कनेक्शन नहीं लिया गया है, और बोरिंग के जरिए भूगर्भ जल दोहन किया जा रहा है। ऐसे ही कई अन्य जगह भी सेंटर चल रहे हैं। जिनके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश भूगर्भ जल विभाग को लिखा गया है।

500 से ज्यादा वॉशिंग सेंटर
जलकल विभाग की जांच के मुताबिक सिटी में 500 से ज्यादा व्हीकल वॉशिंग सेंटर हैं। इसमें सबसे ज्यादा धुलाई सेंटर बकरमंडी, रामबाग, नौबस्ता, शास्त्री नगर, 80 फीट रोड, नयापुरवा, बारादेवी, गौशाला, जूही, बर्रा, किदवई नगर, लालबंगला, कल्याणपुर, मसवानपुर में हैं। इसके साथ गली मोहल्ले में छोटे-छोटे वॉशिंग सेंटर अलग चल रहे हैं। व्हीकल की वॉशिंग के लिए सर्विस सेंटर वालों को बाकायदा पानी का कामर्शियल कनेक्शन लेना होता है, इसके साथ ही कॉमिर्शयल मीटर भी लगाना पड़ता है। इसके बाद भी बिना एनओसी के संचालन गैर कानूनी है।

कागजों पर दो महीने रहते बंद
सिटी में वाशिंग सेंटर्स पर हर दिन औसतन साढ़े पांच लाख लीटर पानी बर्बाद होता है। गर्मी के दिनों में पानी की समस्या बढ़ जाती है। वॉशिंग सेंटर पर प्रेशर पानी से व्हीकल की धुलाई होती है। क्योंकि, अधिकतर जगह सबमर्सिबल से ही पानी लिया जाता है ऐसे में अंडर ग्राउंड वाटर लेवल लगातार घटता जा रहा है। इस समस्या को रोकने के लिए नगर निगम के निर्देश पर ऑनपेपर दो महीने सेंटर बंद होते हैं। मई और जून में वॉशिंग सेंटर्स को बंद किया जाता है। लेकिन, कई जगह फिर भी बिना रोक टोक के सेंटर चलते रहते हैं।

महापौर ने कराया था बंद
पिछली गर्मी में जब शहर में जलसंकट हुआ तो महापौर रहीं प्रमिला पांडेय ने शहर के व्हीकल वॉशिंग सेंटर को पूरी तरह से बंद कर दिया था। कई जगह प्रमिला पांडेय ने मौके पर जाकर वॉशिंग सेंटर को बंद कराया और यूजर चार्ज भी वसूला था।