कानपुर (ब्यूरो)। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में कैंसर जैसी घातक बीमारी का पता फस्र्ट स्टेज में ही चल जाएगा। इसके लिए मेडिकल कॉलेज में जल्द पीईटी स्कैन मशीन लगाई जाएगी, जिसकी मदद से डॉक्टर्स कैंसर का फस्र्ट स्टेज में ही पता लगा सकेंगे। ऐसे में तुरंत ट्रीटमेंट शुरू होने से पेशेंट्स की जान बचाने में आसानी होगी। जीएसवीएम के प्रिंसिपल ने बताया कि पीईटी स्कैन से शरीर में किसी भी अंग में छिपे कैंसर की जानकारी आसानी से हो सकेगी। पेट (क्कश्वञ्ज)स्कैन मशीन से पता चलेगा कि शरीर के किस अंग में कैंसर कोशिकाएं विकसित हो रही हैं। उन्होंने बताया कि मशीन के लिए शासन से ग्रीन सिग्नल मिल गया है, जल्द ही प्रपोजल बनाकर भेजा जाएगा। उन्हों


शासन से मिला ग्रीन सिग्नल
जेके कैंसर इंस्टीट्यूट होने के बावजूद जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में कैंसर पेशेंट ट्रीटमेंट के लिए आते हैं। इसका मुख्य कारण बीते दो वर्षों से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सर्जरी डिपार्टमेंट में कैंसर पेशेंट की हुई सफल सर्जरी है। पहले के मुकाबले अधिक कैंसर पेशेंट रिकवर भी हुए हैं। यही कारण है कि हैलट में कैंसर का ट्रीटमेंट कराने वाले पेशेंट्स की संख्या भी बढ़ रही है। क्योंकि कैंसर की कोशिकाएं शरीर के किसी भी अंग में विकसित हो सकती है। इसलिए विकसित हो रही कोशिकाओं की शुरुआती दौर में पकडऩे के लिए अत्याधुनिक पेट स्कैन &पाजिट्रान एमिशन टोमोग्राफी&य मशीन लगेगी। इसको लेकर शासन ने भी ग्रीन सिग्नल दे दिया है।

यूपी के चार मेडिकल कॉलेज में
शासन ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, आगरा, मेरठ व प्रयागराज मेडिकल कॉलेज में कैंसर जांच के लिए आधुनिक मशीन लगाने का निर्णय लिया था। इसको लेकर जीएसवीएम से मशीन के संबंध में प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जा चुका है। मशीन आने के बाद यहां कैंसर की अत्याधुनिक जांच की सुविधा शुरू हो जाएगी।


अभी ऐसे होती है जांच
जीएसवीएम मेडिकल कालेज व जेके कैंसर इंस्टीट्यूट के एक्सपर्ट कैंसर का पता लगाने के लिए अभी अलग-अलग अंगों के लिए अलग-अलग एमआरआई व सीटी स्कैन जांच कराते हैं, फिर उसी आधार पर ट्रीटमेंट करते हैं। लेकिन इसके बाद भी कैंसर कोशिकाओं की वास्तविक स्थिति का पता लगना मुश्किल होता है। जिससे कैंसर की स्टेज बदलती जाती है।

कोशिकाओं में बदलाव होते ही पकड़ लेगा
पाजिट्रान एमिशन टोमोग्राफी यानी पेट स्कैन मशीन की मदद से कोशिकाओं में होने वाले बदलाव को आसानी से पहचाना जा सकता है। जांच से पहले पेशेंट को विशेष प्रकार के ग्लूकोज के साथ रेडियो आइसोटोप का इंजेक्शन लगाया जाएगा, जो सिर्फ कैंसर कोशिकाओं में पहुंचता है। इन कोशिकाओं से पाजिट्रान निकलते हैं, जिसे मशीन के रेडियो एक्टिव आइसोटोप पकड़ लेते हैं। तस्वीर स्पष्ट होने से पता चल जाता है कि किस अंग से कैंसर कोशिकाओं के सिग्नल आ रहे हैं। इसकी मदद से शुरुआत में ही कैंसर का पता लगाना आसान होगा।

पीईटी स्कैन क्या है?
पॉजि़ट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) स्कैन एक इमेजिंग परीक्षण है जो काम पर आपके अंगों और ऊतकों की छवियां तैयार करता है। परीक्षण में एक सुरक्षित, इंजेक्शन योग्य रेडियोधर्मी रसायन जिसे रेडियोट्रेसर कहा जाता है और एक उपकरण जिसे पीईटी स्कैनर कहा जाता है, का उपयोग किया जाता है। स्कैनर रोगग्रस्त कोशिकाओं का पता लगाता है जो बड़ी मात्रा में रेडियोट्रैसर को अवशोषित करते हैं, जो संभावित स्वास्थ्य समस्या का संकेत देता है.-कैंसर का निदान करने और कैंसर के उपचार का आकलन करने में मदद के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता अक्सर पीईटी स्कैन का उपयोग करते हैं। वे स्कैन के साथ हृदय और मस्तिष्क की कुछ समस्याओं का भी आकलन कर सकते हैं।