- प्रदेश सरकार ने दशकों पुरानी व्यवस्था में किया बड़ा बदलाव

- कैद कम करने के लिए कई अन्य नियमों में भी किए गए संशोधन

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KANPUR : सूबे की जेलों में बंद अच्छे आचरण वाले सजायाफ्ता बंदी अब सिर्फ गणतंत्र दिवस ही नहीं बल्कि साल में सात बार प्रदेश भर की जेलों से रिहा किए जाएंगे। इस संदर्भ में प्रदेश सरकार ने दशकों पुरानी व्यवस्था में बड़ा फेरबदल किया है। कैद कम करने के लिए भी कई अन्य नियमों में भी संशोधन किए गए हैं। प्रमुख सचिव गृह ने सभी जेल व पुलिस अधिकारियों को प˜ा भेजा है।

अच्छे व्यवहार वालों की

प्रदेश में कैदियों की रिहाई के लिए नियम बने हुए हैं। इस नियम के तहत जो कैदी 16 वर्ष की सजा काट चुके हैं। उनका व्यवहार अच्छा रहा है। उनको रिहाई का पात्र माना जाता है। इनमें जो महिला बंदी हैं या जो कैंसर, हार्ट, ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उनको रिहाई की पात्रता में प्राथमिकता दी जाती है। इसके अलावा ऐसे कैदी जो 80 साल या उससे ज्यादा के हो चुके हैं, वे भी रिहाई के पात्र माने जाते हैं। इसमें नरसंहार और सामूहिक हत्या जैसी जघन्य वारदात को अंजाम देने के मामले में दोषसिद्ध बंदियों को शामिल नहीं किया जाता है।

अभी तक साल में दो बार

अभी तक सिर्फ गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर ही ऐसे सजायाफ्ता बंदियों को रिहा किया जाता था। करीब दो साल से देश में कोरोना कहर बरपा रहा है। बंदियों को पैरोल पर छोड़ा जा रहा है। इसी क्त्रम में राज्यपाल ने सालों पुराने नियम में संशोधन किया है। इस संदर्भ में प्रमुख सचिव गृह अवनीश कुमार ने सभी जेल व पुलिस अधिकारियों को पत्र लिखकर शासन के निर्देशों का पालन करने के निर्देश दिए हैं। सालों पुराने नियम में संशोधन से सजायाफ्ता व अच्छे आचरण वाले बंदियों में खुशी की लहर है।

बंदियों की तैयार हो रही लिस्ट

इस बार पंद्रह अगस्त को भी यूपी की 74 जेलों से अच्छे आचरण वाले सजायाफ्ता बंदियों की रिहाई की जाएगी। शासन के निर्देश के बाद कानपुर जेल समेत सभी जेलों में ऐसे बंदियों की सूची तैयार की जाने लगी है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक आरके जायसवाल ने बताया कि शासन के निर्देश के बाद जिला जेल में ऐसे बंदियों की लिस्ट तैयार की जाने लगी है, जिन्हें पंद्रह अगस्त को रिहा किया जाना है।

इन मौकों पर रिहा होंगे

- गणतंत्र दिवस

- स्वतंत्रता दिवस

- गांधी जयंती

- महिला दिवस

- विश्व स्वास्थ्य दिवस

- मजदूर दिवस

- योग दिवस