सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर को नूपुर तलवार को ज़मानत दे दी थी। आरुषि हत्याकांड भारत के सबसे बड़े अनसुलझे हत्याकांडों में से एक है और अभी तक स्पष्ट नहीं है कि 16 मई 2008 की रात क्या हुआ था।

नूपुर और उनके पति डॉक्टर राजेश तलवार पर बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज की हत्या के अलावा सबूतों के साथ छेड़खानी का आरोप है।

सीबीआई की विशेष अदालत के वारंट जारी करने के बाद पुलिस ने नूपुर को 30 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। नूपुर पर अदालत के समन को अनदेखा करने का आरोप था।

अपनी गिरफ्तारी के कुछ ही दिन बाद नूपुर तलवार ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर को नूपुर को ज़मानत दे दी थी।

सबूतों से छेड़छाड़?

सीबीआई ने नूपुर की जमानत का ये कहते हुए विरोध किया था कि वो सबूतों के साथ छेड़छाड़ के अलावा गवाहों को प्रभावित कर सकती हैं। जाँच एजेंसी ने ये भी कहा था कि वो कुछ ऐसे गवाहों से सवाल करना चाहती है जिनकी वो तलाश कर रही है। लेकिन नूपुर के वकीलों ने दलील दी थी कि सीबीआई को किसी भी फैसले तक पहुँचने में कम से कम दो साल लगेंगे।

उन्होंने तर्क दिया कि महत्वपूर्ण गवाहों से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है और ये कहना गलत होगा कि नूपुर गवाहों को प्रभावित कर सकती हैं।

तलवार दंपत्ति का कहना है कि सीबीआई उनपर इसलिए आरोप लगा रही है क्योंकि वो अभी तक असली हत्यारों का पता नहीं लगा पाई है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि उनके खिलाफ सुनवाई पर रोक लगाई जाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका रद्द कर दी थी।

सीबीआई का मानना है कि नोएडा घर से मिले गोल्फ क्लब पर पीड़ितों के चोट के निशान हैं और ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि घर में बाहर से कोई आया था।

मामला

16 मई 2008 को 13 साल की आरुषि की हत्या तलवार दंपत्ति के नोएडा वाले घर में की गई थी। शुरुआत में सबका शक नौकर हेमराज पर गया, लेकिन बाद में हेमराज का शव घर की छत पर मिला।

आरुषि की हत्या का आरोप सबसे पहले पिता राजेश तलवार पर लगा था और हत्या के एक हफ्ते बाद ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने पहले उन्हें गिरफ्तार किया और फिर रिहा कर दिया।

इस मामले में डॉक्टर तलवार के एक सहायक और उनके जाननेवालों के घर काम करनेवाले दो नौकरों समेत तीन अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया था और फिर छोड़ दिया गया।

बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस के काम के तरीके पर काफी हंगामा मचा और फिर उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मायावती सरकार ने ये मामला सीबीआई को सौंप दिया। जाँच के दौरान कुछ बयानों को लेकर भी नोएडा पुलिस की आलोचना हुई थी।

जाँच के कुछ ही दिन के भीतर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मीडिया में ये कह दिया था कि आरूषि की हत्या इसलिए हुई क्योंकि उसे अपने पिता के एक कथित विवाहेतर संबंध का पता चल गया था।

इसी अधिकारी ने ये भी कह दिया था कि हो सकता है कि आरूषि की हत्या उसके और मारे गए नौकर हेमराज के बीच कोई संबंध होने के कारण हुई। राजेश और नूपुर तलवार डेन्टल डॉक्टर हैं।

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