कानपुर (ब्यूरो) पनकी की एक निजी फैक्ट्री में मजदूरी करने वाले कल्लू के परिवार में तीन मौतें हुई हैैं। इस हादसे में कल्लू ने अपनी पत्नी विनीता और बेटा शिवम व बेटी सानवी को खोया है। पूरा परिवार तबाह हो चुका है। कल्लू बताते हैैं कि पत्नी से शाम साढ़े पांच बजे बात हुई थी। उसने चंद मिनटों बाद ही घर पहुंचने के लिए कहा था। हादसे के कुछ देर बाद ही उसके पास भाई का फोन आया। आकर देखा तो उसकी दुनिया वीरान हो चुकी थी। कल्लू ने बताया कि घर के अंदर दहशत है। ऐसा लगता है कि पत्नी और बच्चे उसे ही बुला रहे हैैं।

परिवार के सपने पूरे करने गए थे सूरत

इस घर के चंद कदम चलने पर अंदर गली है। जहां राम सजीवन का घर है। रामसजीवन के भाई राम खिलावन की पहले ही मौत हो चुकी है। दोनों के परिवार कच्चे घर में अगल-बगल रहते हैैं। 14 साल की अंजली अपनी चचेरी बहन 13 साल की शिवानी और मां कुसुमकली के साथ मुंडन में गई थी। इस परिवार ने दोनों बेटियों को हादसे में खोया है। अंजली का भाई सर्वेश और शिवानी का भाई विशाल सूरत में साड़ी कढ़ाई के कारखाने में काम करते हैैं। रोते हुए दोनों ने बताया कि वे बहनों की पढ़ाई और शादी के साथ ही परिवार के सपने पूरा करने के लिए सूरत गए थे, लेकिन उनका सब कुछ लुट गया। इस दौरान कुसुमकली कभी हादसे में मिले दर्द को याद करती रोती दिखाई दीं तो कहीं दोनों बेटों को चुप कराते दिखीं।

डोली की जगह उठी अर्थी

इस हादसे में सबसे ज्यादा अगर किसी के परिवार पर बज्रपात हुआ तो वे हैैं राम दुलारे। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम जब गांव पहुंची तो रामदुलारे सड़क किनारे बैठे दिखाई दिए। आपको बताते चलें कि रात का दो बजा था। वहीं राम दुलारे के 70 साल के पिता भी चारपाई पर बैठे दिखाई दिए। राम दुलारे ने इस हादसे में पत्नी, बेटी, बेटा, मां, भाई की पत्नी और छह साल का भतीजा खोया है। रोते रोते आंखों से आंसुओं ने निकलने के मना जरूर कर दियाआवाज भी रूंधने लगी लेकिन अभी भी दु:ख कम नहीं हुआ। रह रह कर परिवार वालों की याद आती है। रामदुलारे ने बताया कि घर के अंदर जाने की हिम्मत नहीं पड़ रही है। बेटी के हाथ पीले कर उसे डोली में बिठाना था। नवरात्रि की नवमी को रिश्ता पक्का करने बिल्हौर जाना था, बेटी के मौत के बाद सपना टूट गया।

कान से कम सुनता था राजू

इस हादसे के चश्मदीदों ने बताया कि साढ़ चौराहे पर ही राजू ने शराब की बोतल ली और शराब पीने के बाद तेज स्पीड से ट्रैक्टर दौड़ाने लगा। कई बार रोका गया तो वह राक्षसों की तरह हंस रहा था और रोकने के बाद भी तेज गति से ट्रैक्टर चला रहा था। ग्रामीणों ने बताया कि राजू गांजा और शराब पीता था। हादसे के बाद उसे लोगों ने ट्राली के नीचे फंसे लोगों को निकालते देखा, इसके चंद मिनटों बाद ही उसका पता नहीं चला। हादसे में जिंदा बचे लोगों ने बताया कि राजू को कम सुनाई देता था। इस हादसे की बड़ी वजह ये भी हो सकती है।

घरों में टीवी चलाकर बाहर घूमते दिखे ग्रामीण

पूरे गांव में दहशत इस कदर छाई है कि लोग अपने घरों में टीवी चलाकर बाहर बैठे दिखाई दिए। आम तौर पर घरों मेें लोग लाइट बंद करके सोते हैैं लेकिन हादसे का डर और अपनों की याद कुछ इस तरह से सता रही है कि लोगों की घर के अंदर जाने की हिम्मत नहीं पड़ रही है। भले ही हादसे की पहली रात हो लेकिन पूरे गांव में श्मशान सा सन्नाटा दिखाई दिया। जो लोग अपने घरों में रहने के बजाय बाहर निकलकर टहलते दिखाई दिए। ग्रामीणों ने बताया कि हादसे के बाद पूरी रात अस्पताल और गांव के बीच बीत गई। दूसरा दिन अंतिम संस्कार में बीताउसके बाद भी नींद कोसों दूर है।

दिन भर रहे भूखे शाम को मिला खाना

सोमवार को कोरथा में कैबिनेट मिनिस्टर संजय निषाद पहुंचे। उन्होंने जब पीडि़त परिवारों से बात की तो पता चला कि उन्हें सुबह से खाना नहीं दिया गया है। इस पर उन्होंने एसडीएम को आड़े हाथों लिया। संजय निषाद के कहने के बाद पीडि़त परिवारों के लिए पंचायत भवन में खाना बनवाना शुरू किया गया। दोपहर बाद तक संजय निषाद के अलावा कोई नेता नहीं पहुंचा। देर शाम गांव में दवा का छिड़काव शुरू किया गया। ग्रामीणों ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को बताया कि पीडि़त परिवारों के घर में कोहराम मचा है। खाना भी नहीं बनाया गया, प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल रही है। ग्रामीणों ने बताया कि जब मदद मिलेगी तो मिलेगी लेकिन अभी तो मामला गंभीर है।