कानपुर (ब्यूरो)। अगर आपके घर में बच्चे हैं और उन्हें अकेला छोडक़र घर के बाहर कहीं जाते हैं तो यह खबर आपके लिए ही है। आप अपने बच्चों को घर पर बिल्कुल भी अकेला न छोंड़े। घर में हैं और कुछ काम में बिजी हैं, तो भी उन पर हमेशा नजर बनाए रखें क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं कर रहे हैं तो ये खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि बच्चे मोबाइल फोन पर तरह तरह की रील देखकर नकल करने कोशिश में कब मौत के फंदे में फंस जाते हैं, ये उन्हें भी नहीं पता चलता। खेल खेल में गला कसने से कई बच्चों की जान जा चुकी है।

पैर फिसला और कस गया गला
मंडे को बर्रा-8 में खेल-खेल में नौ साल की बच्ची सोनाक्षी ने फांसी लगा ली और उसकी जान चली गई। घटना के वक्त उसके पेरेंट्स घर पर नहीं थे। वह अपने चार साल के छोटे भाई के साथ पलंग पर खेल रही थी। खेलते वक्त उसने अपने गले में एक अंगौछा डाला और एक छोर को खिडक़ी से बांध दिया। तभी उसका पैर फिसल गया और वह फंदे से झूल गई, जिससे उसकी मौत हो गई। माता पिता को जब यह पता चला तो उनके होश उड़ गए। बच्चों को अकेला छोडऩे की गलती पर उन्हें उम्र भर का जख्म दे गई।

बीत साल आए 8 मामले
बता दें, शहर में इस तरह खेल खेल में बच्चे की जान जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी वर्किंग पेरेंट्स के साथ इस तरह के कई मामले सामने आए हैं। 2023 की बात करें तो इस तरह के आठ मामले सामने आए। जबकि 2024 में अब तक दो घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में बच्चों के मामले में बहुत ही अलर्ट रहने की जरूरत है क्योंकि &मौत&य कोई खेल नहीं है। अपने बच्चों का ख्याल रखें। संभव हो तो उन्हें कभी अकेला न छोड़ें।

पहले भी कई बच्चों ने ऐसे ही जान गंवाई
-दिसंबर 2023 में गोविंद नगर के छह ब्लॉक में पानी भरी बाल्टी में डूबकर मासूम की मौत हो गई। बाल्टी में पानी गर्म करने को इलेक्ट्रिक रॉड लगाई थी जिससे बच्चे को करंट भी लगा था।
-महाराजपुर के विपौसी गांव में दो साल के बच्चे खेलता हुआ घर के बाहर बने तालाब में पहुंच गया। पैर फिसलने से वह तलाब में जा गिरा, डूबने से उसकी मौत हो गई।

बच्चे आखिर कहां से सीख रहे ये सब
बड़ा सवाल है कि आखिर बच्चे इस तरह के खेल कहां से सीख रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा रोल मोबाइल फोन का सामने आता है। एक उम्र तक पेरेंट्स को अपने बच्चों को मोबाइल नहीं देना चाहिए। रील्स की लत बहुत तेजी से फैल रही है। रील्स में बहुत तरह की चीजें दिखाई जाती हैं, जो बच्चों के दिमाग पर गलत असर डालती हैं। इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब पर रील्स बड़ी आसानी से देखी जा सकती हैं। बच्चों को मोबाइल से डायवर्ट करके किताबों और उनकी किसी खेल में रुचि हो तो उस ओर उनको बढऩे के लिए इंस्पायर करें।

बच्चों के सामने न देखें रील
आजकल सबसे बड़ी परेशानी ये है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ बैठते तो जरूर है, लेकिन पेरेंट्स और बच्चे अलग-अलग मोबाइल में बिजी रहते हैं। इससे पास होने के बाद भी दूरी रहती है। इस बात का पेरेंट्स खास ख्याल रखें कि जब भी आप अपने बच्चों के साथ बैठें तो उनसे बातें करें और उनके मन में क्या चल रहा है, उसको टटोलने की कोशिश करें। अगर आप बच्चों के सामने फोन नहीं चलाएंगे तो बच्चों पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ेगा। कोशिश करें कि बच्चों के सामने किताबें पढऩे की आदत डालें। कई रिसर्चों में ये बात भी सामने आई है कि किताबें ज्यादा पढऩे वाले बच्चों की मेमरी ज्यादा बेहतर रहती है।


क्या कहते हैं एक्सपर्ट
विदेशों में प्रोटोकॉल है कि जिस समय बच्चे का जन्म होता है। उसके पहले घर में कोई भी ऐसी चीज नहीं रखी जाती है, जिससे बच्चे को नुकसान पहुंच सके। पैरेंट्स को बच्चे से इंट्रैक्शन रखना चाहिए। बच्चों को अहसास कराना चाहिए कि जो पैरेंट्स कह रहे हैैं वही सही है। इसके लिए पैरेंट्स को ही सोचना पड़ेगा। बहुत से लोग अवेयर हो चुके हैैं, वे ये सब करने लगे हैैं। एक दो दिन में ये नहीं होगा बल्कि इसे लगातार करना पड़ेगा।
डॉ। नरेश चंद्र गंगवार, मण्डलीय मनोवैज्ञानिक