- ट्रेनों के इंजन में लगाई जा रहीं जीपीएस से कनेक्ट डिवाइस, पैसेंजर को पता चला ट्रेन का लाइव स्टेटस

-पहले चरण में 2700 इंजन में लगाई जा रही डिवाइस, लाखों पैसेंजर्स को मिलेगी राहत, नहीं बर्बाद होगा समय

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KANPUR: ट्रेन के इंतजार में पैसेंजर्स को स्टेशन पर समय बर्बाद नहीं करना पड़ेगा। पैसेंजर्स अब ट्रेन की रियल टाइम लोकेशन आसानी से जान सकेंगे। ट्रेन की लोकेशन के लिए नेशनल इंक्वायरी सिस्टम को अपग्रेड किया जा रहा है। इसके लिए ट्रेन के इंजन में एक डिवाइस लगाई जा रही है। जोकि जीपीएस के आधार पर ट्रेनों की स्पीड पढ़कर अपडेट जारी करता है। अभी ट्रेनों की लोकेशन स्टेशन से स्टेशन के आधार पर पैसेंजर्स को मिलती है। जिसमें एवरेज स्पीड के आधार पर लोकेशन अपडेट होती है। अपग्रेड सिस्टम में यह तक पता चल जाएगा कि ट्रेन किसी जंगल से गुजर रही है या फिर आउटर में खड़ी है।

इंक्वायर सिस्टम को कर रहे अपग्रेड

एनसीआर सीपीआरओ अजीत कुमार के मुताबिक पैसेंजर्स को बेहतर सुविधाएं देने के लिए नेशनल इंक्वायरी सिस्टम के आधार पर ट्रेनों की लोकेशन अपग्रेड करने पर काम किया जा रहा है। जिससे पैसेंजर्स को ट्रेन की रीयल टाइम लोकेशन की जानकारी हो सके। इसके लिए रेल के इंजनों में एक डिवाइस लगाई जा रही है। पायलट प्रोजक्ट के तहत पहले चरण में देश के 2700 रेल इंजन में यह डिवाइस लगाई जा रही है। इससे लाखों पैसेंजर्स को काफी राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि अभी स्टेशन से स्टेशन के आधार पर ट्रेन की लाइव लोकेशन मिलती है। इसमें कई बार सिग्नल की वजह से ट्रेन फंस जाने से पैसेंजर्स को काफी देर स्टेशन पर इंतजार करना पड़ता है।

अभी ऐसे मिलती है लोकेशन

रेलवे ऑफिसर्स के मुताबिक वर्तमान में पैसेंजर्स को ट्रेन की लोकेशन नेशनल ट्रेन इंक्वायरी सिस्टम (एनटीईएस) के माध्यम से मिलती है। इस प्रॉसेस में ट्रेन जब यार्ड में प्रवेश करती है तो डाटा कंट्रोल रूम में बैठा चीफ कंट्रोलर उसकी लोकेशन फीड कर देता है। इससे स्टेशन से स्टेशन की लोकेशन पता चलती है। ट्रेन के अगले स्टेशन पहुंचने का अनुमानित समय फीड किया जाता है। किसी कारण वश ट्रेन दो स्टेशन के बीच में खड़ी हो गई तो इसकी जानकारी आगे के रेलवे स्टेशनों पर ट्रेन का इंतजार कर रहे पैसेंजर्स को नहीं हो पाती है। जिसकी वजह से पैसेंजर्स को परेशानी होती है।

सैटेलाइट से निगरानी

रेलवे ऑफिसर्स के मुताबिक, प्रोजक्ट के तहत पहले चरण में देश के 2700 इलेक्ट्रिक इंजनों में यह डिवाइस लगाई गई है। दूसरे चरण में लगभग 6 हजार रेल इंजन में डिवाइस को लगाया जाएगा। देश के सभी रेल इंजन में इस डिवाइस के लग जाने से जीपीएस के माध्यम से इसरो सेटेलाइट से ट्रेनों की निगरानी करेगा।

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-2700 रेल इंजन में यह डिवाइस लगाई जा चुकी

-6 हजार रेल इंजन में दूसरे चरण में लगाई जाएगी

-2021 तक देश के सभी इंजन में यह डिवाइस लग जाएगी

-300 से अधिक ट्रेनों का आवागमन डेली होता िदल्ली-हावड़ा रूट में

-10 लाख से अधिक पैसेंजर्स डेली इस रूट में करते जर्नी

वर्जन

रेल पैसेंजर्स की सु िवधाओ ंको देखते हुए रेलवे नेशनल इंक्वायरी सिस्टम को अपग्रेड कर रहा है। ट्रेन की रियल टाइम लोकेशन मिलने से लाखों पैसेंजर्स की समस्या दूर होगी। पैसेंजर्स लाइव लोकेशन के आधार पर अपने घर से स्टेशन के लिए निकल सकेंगे।

अमित मालवीय, पीआरओ, एनसीआर