दो जिलों की पुलिस और एसटीएफ को चकमा देकर दीपक दुबे ने लखनऊ कोर्ट में किया सरेंडर

kanpur : बिकरू कांड में मात खा चुकी पुलिस और एसटीएफ एक बार हाथ मलती रह गई। विकास दुबे के भाई दीपक दुबे ने दो जिलों की पुलिस और एसटीएफ को मात देकर सरेंडर कर दिया। ट्यूसडे सुबह लखनऊ कोर्ट में उसने सरेंडर किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया है। चार महीने से उसकी तलाश हो रही थी। दीपक पर लखनऊ पुलिस ने 25 हजार का ईनाम भी घोषित किया था।

चार दिन पहले घर की कुर्की

लखनऊ पुलिस ने दीपक के घर से फर्जी सरकारी नंबर वाली एंबेसडर कार जब्त कर ली थी। मामले में लखनऊ की कृष्णानगर पुलिस ने धोखाधड़ी, जालसाजी समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था। ईनाम घोषित कर चार दिन पहले उसके घर की कुर्की की गई थी। दीपक बिकरू कांड में आरोपी नहीं है। चौबेपुर थाने में उसके खिलाफ पिछले महीने शस्त्र लाइसेंस में फर्जी शपथ पत्र देने और फेक आईडी पर सिम लेने के मामले में रिपोर्ट दर्ज की गई थी।

पता था कोर्ट आएगा

एक सप्ताह पहले दीपक की तरफ से कोर्ट में सरेंडर अर्जी डाली गई थी। तीन दिन पहले वह सरेंडर करने भी गया था लेकिन कोविड जांच रिपोर्ट न होने की वजह से नहीं कर सका था। दोबारा उसने कोर्ट पहुंचकर सरेंडर कर दिया। चर्चा है कि पुलिस की साठगांठ से सरेंडर किया गया।

16 साल से जमानत पर था

सन 2000 में शिवली कानपुर देहात में ताराचंद इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल सिद्धेश्वर पांडेय का मर्डर हुआ था। इसमें विकास और दीपक को उम्र कैद की सजा हुई थी। 2004 में दीपक को जमानत मिल गई थी। उसका भी बड़ा आपराधिक इतिहास है लेकिन न तो उसकी हिस्ट्रीशीट पुलिस ने खोली और न ही गैंगस्टर लगाया।