कानपुर (ब्यूरो) आज के विद्यार्थियों में टैलेंट की कमी नहीं है। बचपन से ही उनके हाथ में एंड्रायड फोन होता है और उससे तमाम तरह से ज्ञान अर्जित करते हैं। ऐसे में शिक्षकों की चुनौती बढ़ी है। ज्यादातर हाथों में फोन होने से क्राइम बढ़ रहा है। दरअसल वीडियो गेम खेलते समय पैरेंट्स का खाता खाली करना, फर्जी आईपी एड्रेस पर बने लॉगिन से किसी फेक साइट को ओपन करवाकर ठगी करना और स्निफर साइट्स खोलकर उससे जानकारी कलेक्ट कर क्राइम के कई मामले सामने आ चुके हैैं। जिसकी वजह से यूपी का क्राइम ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। वहीं ये भी सामने आया कि बीते दो सालों में क्राइम करने वालों मेें नाबालिगों की संख्या भी बढ़ी है, जिसकी वजह से शासन ने पुलिस कर्मियों से बच्चों को साइबर की जानकारी देने और 'हाऊ टू यूज एंड्रॉयड फोनÓ बताएंगे। साइबर क्राइम इंस्पेक्टर हरमीत सिंह ने बताया कि वे स्टूडेंट्स के कैलिबर को पहचान कर उनकी रुचि के अनुसार करियर बनाने में मार्गदर्शन करेंगे।


विजुअल से समझाया जाएगा
हरमीत सिंह ने बताया कि बच्चों को विजुअल से समझाया जाएगा, जिससे उन्हें अपने आस पास के माहौल की भी जानकारी होगी। क्लास में 10 मिनट का समय सवाल-जवाब राउंड जरूर किया जाएगा। जिससे ये जानकारी मिले कि बच्चों पर क्या असर पड़ रहा है। शुरू में प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों के मन से भय दूर किया जाएगा। उन्हें समझाया जाएगा कि गलती को सुधारा जा सकता है। इसके बाद उनकी ट्रेनिंग शुरू की जाएगी।


पोर्टेबल लाइब्रेरी किताबें पढऩे को करेंगी प्रेरित
साइबर इंस्पेक्टर हरमीत सिंह ने बताया कि बच्चों को क्लास के हिसाब से पिक्टोग्राफ और कुछ नोट्स भी उपलब्ध कराए जाएंगे। जिसे बच्चे अपने पैरेंट्स को भी बता सकें, कुछ स्कूलों में पुलिस कर्मी जा रहे हैैं, जबकि कुछ स्कूलों में स्मार्ट क्लॉस बनाने के लिए कहा गया है


इन बातों की दी जाएगी जानकारी
- गेम खेलते समय किन साइट्स को नहीं खोलना है।
- हमेशा फ्रेश यूआरएल पर ही काम करना है।
- साइबर ठगी से बचने के लिए क्या-क्या करना है?
- नशे के क्या-क्या दुष्प्रभाव होते हैैं?
- क्रिमिनल का क्या हाल होता है?
- समाज में अच्छाई और बुराई क्या है?
- ट्रैफिक नियम क्या होते हैैं, क्या करना चाहिए?

अपराध रोकने के लिए शासन से कुछ एडवाइजरी जारी की गई है। शिक्षा विभाग और यूपी पुलिस मिलकर अभियान चलाने जा रहा है।
हरमीत सिंह, प्रभारी साइबर सेल