- क्राइम ब्रांच की तफ्तीश में हो रहे हैं चौंकाने वाले खुलासे

- दोबारा आधी कीमत पर सिम बेच दिए जाते हैं एजेंटों को

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KANPUR : साइबर फ्रॉड के लिए इस्तेमाल होने वाले सिम कार्ड अब नष्ट नहीं किए जाते बल्कि उनको री सेल कर दिया जाता है। बीमाधारकों के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले में क्राइम ब्रांच की अब तक की जांच में ये खुलासा हुआ है। सिम कार्ड दोबारा एजेंटों को आधी कीमत पर बेच दिए जाते हैं। जिसके चलते इन सिम कार्ड की लोकेशन देश के अलग-अलग हिस्सों में मिलती है।

खोला प्रीएक्टिवेटेड सिम का राज

बीमाधारकों से कोरोड़ों की धोखाधड़ी के मामले में पुलिस ने एक गिरोह के छह लोगों को जेल भेजा है। उसके बाद लखनऊ से सिम कार्ड बेचने वाले दो आरोपियों को पकड़ा। इन सिमकार्ड वाले आरोपियों से जब पूछताछ की गई तो इन्होंने प्रीएक्टिवेट सिम कार्ड्स के बारे में चौंकाने वाली जानकारी दी। एडीसीपी क्त्राइम ने बताया कि पुराने समय में सिम कार्ड से अपराध करने के बाद आरोपी उसे तोड़ देते या फिर जला देते थे ताकि पुलिस को उनकी आखिरी लोकेशन के बारे में जानकारी न हो। मगर अब साइबर अपराधियों ने ट्रेंड बदल दिया है। वह सिम कार्ड को नष्ट नहीं करते बल्कि आधे दामों पर दोबारा उसे एजेंट को ही बेच देते हैं। जिसकी वजह से जब पुलिस आईएमईआई नम्बर सॉफ्टवेयर पर रन कराती है तो अपराध में प्रयोग हुए उस सिम की लोकेशन किसी और शहर में मिलने लगती है। जिससे पुलिस के लिए कंफ्यूजन की स्थिति बनती है।

1000 का कार्ड 500 में री सेल

अधिकारी ने बताया कि एक हजार का प्री एक्टीवेट सिम कार्ड एजेंट बेच देता है। जब उस सिम कार्ड से कॉल हो जाती है तो अपराधी उसी एजेंट को वह सिम कार्ड पांच सौ रुपए में वापस बेच देता है। एजेंट दोबारा वही सिम कार्ड किसी और गिरोह को एक हजार रुपए में बेच देता है। ऐसे ही यह साइकिल चलती रहती है और एक सिमकार्ड औसतन दस से बारह घटनाओं में इस्तेमाल हो जाता है। बीमाधारकों के साथ हुई धोखाधड़ी के मामले में पुलिस को 60 ऐसे सिम कार्ड के बारे में जानकारी मिली है जिन्हें री सेल किया गया।

'' सिम कार्ड साइबर अपराध का सबसे पहला चरण है। अगर सर्विस प्रोवाइडर कम्पनियां चाह ले तो इस तरह के प्री एक्टीवेशन को अपने स्तर पर रोक सकती है। उनके पास तमाम ऐसे उपकरण रहते हैं। बाकी क्राइम ब्रांच प्रीएक्टिवेट सिम कार्ड और उसकी री सेल करने वाले एजेंटों पर काम कर रही है। बहुत जल्द मामले में बड़ा खुलासा होगा.''

दीपक भूकर, एडीसीपी क्त्राइम