- कोरोना ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से प्लाज्माथेरेपी को हटाने के बाद हॉस्पिटल्स से आ रही है डिमांड

- सिटी में दो ब्लड बैंकों में ही कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए प्लाज्मा फेरेसिस की है सुविधा

KANPUR: कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी को भले ही आईसीएमआर ने ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से हटा दिया हो, लेकिन शहर के प्राइवेट कोविड अस्पतालों से प्लाज्मा की डिमांड आ रही है। खासतौर से आईसीयू में भर्ती कोरोना संक्रमितों के लिए डॉक्टर्स अभी भी प्लाज्मा थेरेपी पर भरोसा कर रहे हैं और उनके लिए प्लाज्मा की डिमांड कर रहे हैं। सिटी में दो ब्लड बैंकों में ही कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए प्लाज्मा फेरेसिस की सुविधा है। हालांकि इन दोनों ब्लड बैंकों के जिम्मेदार अधिकारियों के मुताबिक, प्लाज्मा के लिए दो, तीन दिन से डिमांड जरूर कम हो गई है।

माइल्ड, मॉडरेटेड केस में

मालूम हो कि कोरोना संक्रमितों में प्लाज्मा थेरेपी की उपयोगिता पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। बीते साल नवंबर में आईसीएमआर ने किन पेशेंट्स में प्लाज्मा थेरेपी कारगर हो सकती है इसे लेकर स्पष्ट गाइडलाइन जारी की थी। जिसमें प्लाज्मा थेरेपी सिर्फ कोरोना के माइल्ड और मॉडरेटेड केसेस में ही देने की सलाह दी गई थी। वहीं सेकेंड वेव में प्लाज्मा थेरेपी के लिए प्लाज्मा की डिमांड तेजी से बढ़ी। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज और आईएमए ब्लड बैंकों पर इसके लिए दबाव भी बढ़ा। हालांकि सीमित प्लाज्मा डोनेशन की वजह से प्लाज्मा की भारी किल्लत भ्ाी रही।

प्राइवेट हॉस्पिटलों से डिमांड

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक के एक अधिकारी बताते हैं कि आईसीएमआर के प्लाज्मा थेरेपी पर रोक लगाने के बाद से एलएलआर हॉस्पिटल या किसी अन्य सरकारी अस्पताल से अभी तक प्लाज्मा की डिमांड नहीं आई है। हालांकि प्राइवेट कोविड अस्पतालों से क्रिटिकल मरीजों के लिए अभी भी प्लाज्मा की डिमांड आ रही है। ऐसे में जो लोग अपने साथ किसी डोनर को लाते हैं तो उन्हें प्लाज्मा फेरेसिस के जरिए प्लाज्मा डोनेट करा दिया जाता है।

इन दो ब्लड बैंकों में प्लाज्मा फेरेसिस की फैसेलिटी-

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक

आईएमए चैरिटेबल ब्लड बैंक

संक्रमितों को कितने यूनिट प्लाज्मा डोनेशन

जीएसवीएम ब्लड बैंक- 307

आईएमए ब्लड बैंक-71

प्लाज्मा की डिमांड खत्म तो नहीं, लेकिन कम जरूर हुई है। पहले डेली 15 से 20 पेशेंट्स के लिए डिमांड आती थी, लेकिन अब डिमांड काफी कम है।

-डॉ। प्रवीन कटियार, कोआर्डिनेटर, आईएमए चैरिटेबल ब्लड बैंक

अभी भी प्लाज्मा की डिमांड है। हालांकि पहले के मुकाबले कम है। जो डिमांड आ भी रही है वह प्राइवेट कोविड अस्पतालों से है। इसके लिए अब आईसीएमआर की स्पष्ट गाइडलाइन हैं।

- प्रो। लुबना खान, प्रभारी मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक