कानपुर (ब्यूरो) पुलिस आयुक्त असीम अरुण, एडीजी जोन भानु भास्कर और आईजी मोहित अग्रवाल ने शहीद पुलिसकर्मियों की वीरता की गाथाएं सुनाईं। वहीं अधिकारियों ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान पूरे प्रदेश में करीब 147 जवानों की जान चली गई थी। इसमें कानपुर नगर के दारोगा मारुति नंदन उपाध्याय, मुकेश कुमार, हेड कांस्टेबल दीप ङ्क्षसह, राजवीर ङ्क्षसह, आरक्षी चालक शीलेंद्र कुमार, फालोवर कमलेश कुमार भी शामिल हैं।

अभी नहीं मिली नौकरी
बिकरू कांड के तीन शहीदों की पत्नियों को आवेदन करने के एक वर्ष बाद भी नौकरी नहीं मिल पाई है। तीनों ने दारोगा पद के लिए आवेदन किया था। एक महिला ने दौड़ परीक्षा पास करने के बाद लिखित परीक्षा भी दे दी, लेकिन अब तक रिजल्ट नहीं आया है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक शहीद दारोगा नेबूलाल, महेश कुमार व सिपाही जितेंद्र पाल के स्वजन ने नौकरी का आवेदन करने के लिए शासन से समय मांग लिया था। वहीं सिपाही बबलू कुमार के भाई का सिपाही पद पर ही चयन हो गया था। दो महीने पहले शहीद सीओ देवेंद्र कुमार मिश्रा की बेटी को ओएसडी (विशेष कार्याधिकारी) पद पर नौकरी मिल गई। तीन जवानों दारोगा अनूप कुमार, सिपाही सुल्तान व राहुल की पत्नियों ने भी दारोगा पद पर आवेदन किया था, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली है।