इस बहुचर्चित हत्याकांड मामले में नूपुर तलवार ने खुद को और पति राजेश तलवार को अभियुक्त बनाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार की अर्जी दी थी।

इस मामले में तलवार दंपत्ति के खिलाफ गाजियाबाद की निचली अदालत में हत्या का मुकदमा चलाया जा रहा है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका निरस्त करते हुए कहा कि इसमें दोबारा जांच की कोई जरूरत नहीं है।

सीबीआई के वकील आर के सैनी ने कहा, "पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मेजिस्ट्रेट का संज्ञान लेने वाला आदेश सही था और मेजिस्ट्रेट ने अपने आदेश के पक्ष में कारण भी गिनाए हैं। इसके अलावा पुनर्विचार याचिका के खारिज होने के साथ जमानत याचिका भी अपने आप ही खारिज हो गई है.''

पक्ष

इससे पहले आरुषि हत्याकांड की सुनवाई कर रही विशेष अदालत के सामने सीबीआई ने कहा था कि राजेश और नूपुर तलवार ने ही अपनी बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या की। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरके सैनी ने अदालत में कहा था कि तलवार दंपत्ति ने कुछ समय के अंदर ही दोनों को एक-एक करके मार दिया, क्योंकि इन दोनों की मौत के समय में ज्यादा अंतर नहीं है।

सीबीआई के वकील ने ये भी आरोप लगाया कि राजेश और नूपुर तलवार ने सबूत नष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि हत्या के बाद उन्होंने आरुषि के कमरे की दीवार को धोया, ताकि उस पर लगे खून के धब्बे साफ किए जा सके।

चौदह वर्षीय आरूषि तलवार की हत्या 15-16 मई 2008 की रात में नोएडा स्थित उसके घर में ही कर दी गई थी। इस वारदात के अगले दिन घरेलू नौकर हेमराज की लाश घर की छत पर मिली थी

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