कानपुर (ब्यूरो)। न्यू एकेडमिक सेशन 2024-25 में स्टेट की तीनों टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू, एकेटीयू और एमएमएमटीयू) में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को अलग अलग काउंसिलिंग करानी होगी। बीते दिनों शासन ने एचबीटीयू को तीनों यूनिवर्सिटी और एफिलिएटेड कालेजों के लिए एडमिशन का जिम्मा सौंपा था। काउंसिलिंग के लिए कमेटी आदि बन गई थी, जिसमें एचबीटीयू वीसी प्रो। समशेर अध्यक्ष थे। शासन की ओर से हाल ही मेें जारी आदेश के अनुसार काउंसिलिंग को तीनों यूनिवर्सिटी को अपने अपने स्तर से काउंसिलिंग कराने का डिसीजन लिया गया है।

पहले स्टूडेंट्स का था फायदा
शासन के इस फैसले के बाद तीनों यूनिवर्सिटीज में एडमिशन के लिए काउंसिलिंग आदि का प्रोसेस बीते सालों की तरह ही रहेगा। हालांकि यदि एक काउंसिलिंग से तीनों यूनिवर्सिटीज की काउंसिलिंग हो जाती तो सेशन एक साथ शुरू होता, जिसमें स्टूडेंट्स का बेनीफिट था। बताते चलें कि जेईई मेन के स्कोर के आधार पर तीनों यूनिवर्सिटी बीटेक में एडमिशन देती हैैं।

एक काउंसिलिंग से स्टूडेंट्स को देनी पड़ती एक फीस
यदि एचबीटीयू या कोई एक यूनिवर्सिटी, तीनों टेक्निकल यूनिवर्सिटी के लिए काउंसिलिंग कराती तो उसमें स्टूडेंट्स की जेब पर असर कम पड़ता। वह एक ही काउंसिलिंग फीस देकर तीनों यूनिवर्सिटी मेें एडमिशन के लिए काउंसिलिंग करा सकते थे। अब जब अलग अलग काउंसिलिंग होगी तो यदि स्टूडेंट अपने पसंद की ब्रांच के लिए तीनों यूनिवर्सिटी में संभावना तलाशने की कोशिश करेगा तो उसे अलग अलग काउंसिलिंग फीस भी चुकानी होगी।

काउंसिलिंग फीस तो नहीं वजह
जेईई की तैयारी कराने वाले टीचर प्रशांत त्रिपाठी ने कहा कि एक यूनिवर्सिटी द्वारा काउंसिलिंग कराए जाने से अन्य दो यूनिवर्सिटी का घाटा था। जो यूनिवर्सिटी काउंसिलिंग कराती, काउंसिलिंग की फीस उसी के खाते में आती। अन्य दो यूनिवर्सिटी के हाथ काउंसिलिंग फीस के नाम पर कुछ भी न लगता। इसमे सबसे बड़ा नुकसान एकेटीयू लखनऊ का था। वहां से पूरे प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेज एफिलिएटेड है। हर साल एफिलिएटेड कालेजों में एडमिशन के लिए काउंसिलिंग फीस के नाम पर एक मोटी रकम एकेटीयू को मिलती है। एचबीटीयू द्वारा पूरे प्रदेश के लिए काउंसिलिंग कराए जाने से एचबीटीयू अपने एडमिशन के साथ साथ पूरे प्रदेश के कालेजों में एडमिशन के लिए काउंसिलिंग फीस को अपने पास रखता।

इससे पहले भी पलट चुका है एक फैसला
शासन ने इससे पहले एकेटीयू से एफिलिएटेड इंजीनियरिंग कालेजों के क्षेत्र के आधार पर एकेटीयू, एचबीटीयू और एमएमएमटीयू में बांटने का डिसीजन लिया था। अंतिम फैसले से पहले इसको भी मूर्त रुप नहीं दिया जा सका था। यदि एचबीटीयू और एमएमएमटीयू को कुछ इंजीनियरिंग कालेज मिल जाते तो इन दोनों यूनिवर्सिटी का दायरा बढ़ता, इसके अलावा कुछ इनकम भी बढ़ जाती।