एजेंसी फॉर साइंस, टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च (एएसटीएआर) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने प्लेबॉय मॉडल लीना सोडरबर्ग की इस तस्वीर को सिकोड़कर 50 माइक्रोमीटर में समेट दिया है।

स्वीडन की मॉडल लीना सोडरबर्ग की ये तस्वीर प्लेबॉय में वर्ष 1972 में प्रकाशित हुई थी। छपाई की विभिन्न तकनीकों के परीक्षण के लिए लीना की इस तस्वीर का इस्तेमाल होता रहा है।

इस तस्वीर का पहली बार वर्ष 1973 में इस्तेमाल किया गया था। कम्प्यूटर के इतिहास में ये उन चंद तस्वीरों में से एक है जिन्हें बार-बार स्कैन किया गया है।

तकनीक का कमाल

'नेचर नैनोटैक्नोलॉजी' नामक जर्नल में छपे ब्यौरे के मुताबिक, शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तकनीक से बहुत महीन और बेहतरीन तस्वीरें छापी जा सकती हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक का इस्तेमाल सुरक्षा उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अति-सूक्ष्म वाटरमार्क्स या खुफिया संदेश छापने में किया जा सकता है।

अनुसंधान से जुड़े शोध दल ने शोधपत्र में लिखा है, ''इस तकनीक से चटख रंगों वाली अति-सूक्ष्म तस्वीरें छापी जा सकती हैं। ये तकनीक सुरक्षा के लिए 'माइक्रो-इमेज' बनाने में भी मददगार हो सकती है.''

शिकागो स्थित नॉर्थ-वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में नैनोटैक्नोलॉजी के प्रोफेसर चाड मिर्किन कहते हैं कि इस शोध के परिणाम ऐसे हैं जैसे इस सीमा पर पहुंचा जा चुका है कि रंगीन छपाई कहां तक संभव है।

महीन छपाई में दिक्कत ये आती है कि जब पिक्सेल को बहुत करीब लाया जाता है तो तस्वीर धुंधली हो जाती है। लेकिन शोधकर्ताओं ने तस्वीर को धुंधला होने से बचाने के लिए सोने और चांदी के सूक्ष्म कणों का इस्तेमाल किया जिन्हें बहुत खास तरीके से व्यवस्थित किया गया था।

प्रो मिर्किन कहते हैं, ''वांछित रंगों को हासिल करने का ये एक चतुराई भरा तरीका है.'' प्लेबॉय मॉडल लीना सोडरबर्ग को ''फर्स्ट लेडी ऑफ इंटरनेट'' माना जाता है।

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