-सिख विरोधी दंगे के नौ मामले एविडेंस के अभाव में की गई हैं बंद

-एक मामले में दंगाई की ही हुई थी मौत, उसे भी विवेचना से बाहर किया

KANPUR : सिख विरोधी दंगे के दौरान दर्ज 8 मुकदमों में पीडि़त परिवारों ने गवाही देने या पैरवी करने से ही मना कर दिया। मजबूरी में एसआईटी को आठ फाइलें बंद करनी पड़ी हैं। नौबस्ता का एक केस ऐसा भी है, जिसमें दंगाई की ही गोली लगने से मौत हुई थी। इस फाइल को बंद कर विवेचना के दायरे से बाहर किया गया। कुल 40 केस दर्ज किए गए थे। 11 मामलों में चार्जशीट दाखिल हुई और बाकी में फाइनल रिपोर्ट लगी। एसआईटी के एसपी बालेंदु भूषण ने बताया कि पीडि़त परिवारों में एक महिला विदेश में रहती हैं, उन्होंने अपनी बीमारी व चलने फिरने में लाचारी का हवाला देकर गवाही देने से मना कर दिया। ईमेल भी भेजा है।

पंजाब जाएगी एसआईटी

नौबस्ता, किदवईनगर, अर्मापुर थानों में दर्ज चार मुकदमों के पीडि़त परिवार अब पंजाब में रह रहे हैं। उनके बयान लेने टीम इसी सप्ताह पंजाब जाएगी। एक केस शासन की ओर से वापस ले लिया गया था।

इसमें शासनादेश ढूंढा जा रहा

एसआइटी के एसपी के मुताबिक निरालानगर यू ब्लॉक में गुरुदयाल सिंह के बेटे समेत तीन लोगों की हत्या हुई थी। उनके परिजन लुधियाना में रहते हैं। नौबस्ता में पुरुषोत्तम सिंह के भाई व रिश्तेदार की हत्या हुई थी। उनका परिवार जालंधर में रह रहा है। इसमें ओएफसी के गेट पर तीन कर्मचारियों और अर्मापुर एस्टेट में दो कर्मचारियों की हत्या मामले में भी पीडि़त परिवार चंडीगढ़ में रहते हैं। मृतक आश्रित के तहत इन परिवारों के सदस्यों की आर्डिनेंस फैक्ट्री में नौकरी लग गई थी। टीम भेजकर सभी परिवारों के बयान दर्ज किए जाएंगे। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।

1984 के इन केस में बंद हुई फाइल

- पनकी में पल¨वदर सिंह के बेटे जसवीर की हत्या

- विजयनगर में सरदार कुलदीप सिंह की हत्या, आगजनी

- नौबस्ता में अनिल कुमार की हत्या का मामला

- रतनलाल नगर में अज्ञात व्यक्ति की हत्या व लूटपाट

- रतनलाल नगर में गुरुवेंदर सिंह के घर डकैती व हत्या

- ईडब्ल्यूएस कॉलोनी नौबस्ता में डकैती, हत्या

- दबौली में हरचरण उर्फ पप्पू व दो अज्ञात की हत्या

- गो¨वदनगर में रतन सिंह, हर¨वदर, पर¨वदर व बलवंत सिंह की हत्या

- सेवाग्राम कॉलोनी में गुरुबचन सिंह के घर लूटपाट, आगजनी