KANPUR: कुछ दिनों में रमजान शुरू होने वाला है। ऐसे में फीते वाली गली जैसे संवेदनशील इलाके में ब्लास्ट से एटीएस समेत अन्य जांच एजेंसी के कान खड़े हो गए हैं। उन्हें शक है कि कहीं शहर का माहौल बिगाड़ने की तो साजिश नहीं हो रही है। जो ब्लास्ट से फेल हो गई। उन्हें शक स्लीपर सेल पर है। उन्हें शक है कि स्लीपर सेल की चूक से ब्लास्ट हुआ है। वे चाहते थे कुछ और थे लेकिन हो गया कुछ और? जिसके आधार पर एटीएस समेत अन्य जांच एजेंसियों ने पड़ताल भी शुरू कर दी है, लेकिन वे कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। एसएसपी भले ही इससे इन्कार कर रहे हों लेकिन हम आपको बताते हैं कि जांच एजेंसी का गैरवाजिब नहीं है। स्लीपर सेल क्या है? वे किस तरह से काम करते हैं?

क्या होता है स्लीपर सेल

आपने फिल्म स्टार अक्षय कुमार की हॉलीडे मूवी देखी होगी। ये मूवी स्लीपर सेल पर बनी है। स्लीपर सेल बेहद खतरनाक और शातिर होते हैं। वे किसी न किसी आतंकी संगठन के टच में रहते हैं, लेकिन वे आम आदमी बनकर छोटी-मोटी बस्ती में गुमनामी की जिन्दगी बिताते हैं। किसी दुकान या मॉल में काम करते हैं। लंबे समय तक एक ही रुटीन पर काम करने से उनपर किसी को शक नहीं होता बल्कि उनकी छवि सीधे-साधे अपने काम से मतलब रखने वाले इंसान की बन जाती है। हालांकि वो अपने बॉस के टच में हमेशा रहते हैं। और तब तक किसी वारदात को अंजाम नहीं देते जब तक उन्हें ऐसा करने का आदेश न मिले। लेकिन एक बार आदेश मिलते ही तेजी से एक्टिव होते हैं। वे इतने जज्बाती होते हैं कि वे टारगेट को पूरा करने के लिए अपनी जान भी गंवाने से पीछे नहीं हटते हैं।

परिस्थितियां कर रहीं इशारा

फीते वाली गली बेहद घना और संवेदनशील इलाका है। यहां पर पुलिस भी जाने से कतराती है। यहीं पर इंडिया के मोस्ट वाटेंड टेरेरिस्ट दाउद इब्राहिम से संबंध रखने वाला डी-2 गैंग सक्रिय था। इस गैंग के ज्यादातर बदमाश या तो मार दिए गए हैं या फिर वो जेल में हैं। इसके बाद भी डी-2 गैंग की दहशत यहां बरकरार है। डी-2 गैंग के गुर्गे जरूर एक्टिव हैं। ऐसी जगह पर ही स्लीपर सेल गुमनामी की जिन्दगी बसर करते हैं। इसलिए जांच एजेंसियों को शक है कि इसमें स्लीपर सेल का हाथ हो सकता है। जांच एजेंसी ने इस थ्योरी पर जांच करना भी शुरू कर दिया है।

इसलिए बढ़ा शक

स्लीपर सेल ज्यादातर किसी न किसी फेस्टिवल या उसके आसपास धमाका करते हैं, ताकि उनके आतंकी संगठन की दहशत और बढ़ जाए। कुछ दिनों बाद रमजान शुरू होने वाला है। इससे जांच एजेंसियों का शक और बढ़ गया है।

डिपो की तरह यूज किया जा रहा था मकान

स्लीपर सेल को ज्यादातर बम प्लांट करने में यूज किया जाता है। वे खुद भी मानव बम बनकर ब्लास्ट करते हैं। वे भीड़भाड़ वाले इलाके जैसे मॉल, सिनेमा हॉल, मार्केट में विस्फोट करते हैं। लेकिन यह ब्लास्ट फीते वाली गली के एक घर में हुआ। जांच एजेंसी का मानना है कि यह ब्लास्ट स्लीपर सेल की चूक से हुआ है। किसी और जगह पर ब्लास्ट करने के लिए विस्फोटक लाया गया था और फीते वाली गली के मकान में छिपाकर रखा गया था। लेकिन योजना को अंजाम देने के पहले भीषण गर्मी या अन्य किसी चूके से इसमें विस्फोट हो गया। जांच एजेंसी इस थ्योरी पर भी पड़ताल कर रही है।

इलाकाई लोगों की कुंडली खंगाल रही एटीएस

फीते वाली गली में मंगलवार को एटीएम की टीम ने दो बार पड़ताल की। टीम सुबह 1 बजे घटना स्थल पर पहुंची। टीम ने कुछ लोगों से बात की और बिना कुछ बताए वहां से चली गई। मीडिया कर्मियों ने उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। इसके बाद एटीएस की टीम शाम को घटना स्थल पर पहुंची। एटीएस ने संदिग्ध पाउडर का सैम्पल लिया है। साथ ही वे ये पता कर रहे हैं कि तीनों मकान समेत आसपास के मकान में कौन-कौन रहता है। वे उनकी कुंडली खंगाल रहे हैं, ताकि ये पता चल सके कि कहीं कोई बाहरी तो इलाके में नहीं रह रहा था।