कानपुर (ब्यूरो)। सिटी व आसपास के क्षेत्रों की मिट्टी में जीवांश कार्बन की कमी हो रही है। इससे खेतों की मिट्टी प्रदूषित होती जा रही है। खेती के बदले तरीकों को इसकी वजह माना जा रहा है, जिसमें अधिक उत्पादन के लिए किसानों ने केमिकल युक्त फर्टिलाइजर और अन्य केमिकल्स का यूज बढ़ा दिया है। इससे खेतों को अधिक ङ्क्षसचाई की जरूरत भी पडऩे लगी है। सिटी में जीवांश कार्बन कमी से संबंधित रिपोर्ट सीएसए की लैब ने तैयार की है।
अलग अलग एरिया से लिए सैंपल
गंगा-यमुना के दोआब वाली उपजाऊ मिट्टी भी बीमार हो रही है। इसकी वजह खेती-किसानी के बदले तरीके और रसायनों पर बढ़ती निर्भरता है। सीएसए स्वाइल साइंस डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। अनिल कुमार सचान ने बताया कि सिटी के अलग-अलग एरियाज से लिए गए मिट्टी के सैंपल की टेस्ट रिपोर्ट बता रही है कि गंगा-यमुना के दोआब में केमिकल का यूज तेजी से बढ़ रहा है।

इससे मिट़्टी में स्वाभाविक तौर पर मौजूद रहने वाले जीवांश कार्बन तेजी से घट रहे हैं। फर्टाइल स्वाइल के लिए जीवांश कार्बन की उपस्थिति 0.8 प्रतिशत होनी चाहिए। साल भर के दौरान सिटी से लिए गए स्वाइल सैम्पल में 40 प्रतिशत में इसका लेवल महज 0.1 से 0.2 प्रतिशत ही पाया गया है, जो साफ बता रहा है कि इन इलाकों में जीवांश कार्बन तेजी से कम हो रहे हैं।