कानपुर (ब्यूरो) जीआरपी के मुताबिक चकेरी से लेकर झींझक तक व जरीब चौकी से लेकर आईआईटी तक बीते एक वर्ष में 228 लोगों की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। इनमें से लगभग 90 परसेंट लोगों की मौत शॉर्ट कट का यूज कर रेल ट्रैक पार करने के दौरान हुई है। जीआरपी इंस्पेक्टर के मुताबिक आंकड़ों के मुताबिक लगभग हर तीसरे दिन ट्रेन से टकरा कर एक व्यक्ति की मौत हो जाती है।

जूही से दादानगर तक रेड जोन
कानपुर सेंट्रल स्टेशन के जीआरपी इंस्पेक्टर आरके द्विवेदी ने बताया कि कानपुर में ट्रेन से टकरा कर सबसे अधिक मौत जूही यार्ड से लेकर दादानगर व पनकी के बीच में होती है। इसका मुख्य कारण जूही से लेकर दादानगर व गोविंदपुरी से पनकी के बीच में रेलवे ट्रैक किनारे घनी बस्ती बसी है। लिहाजा स्थानीय लोगों ने जगह-जगह शार्ट कट बना कर ट्रैक को पार करते हैैं।

सोशल मीडिया के साथ घर-घर जा रहे
जीएमसी यार्ड इंस्पेक्टर सुरुचि शर्मा ने बताया कि रेल ट्रैक को पार करने के लिए शार्ट कट का यूज करने वालों को अवेयर कर उनको जिंदगी का महत्व बताने के लिए सोशल मीडिया के जरिए रेलवे अवेयर कर रहा है। वहीं आरपीएफ टीम रेल ट्रैक किनारे बस्तियों में घर-घर जाकर बच्चों को ट्रैक किनारे खेलने, शौच जाने व अनाधिकृत रूप से न घूमने के प्रति अवेयर कर रही है।

हाल में हुई घटनाएं
- जूही यार्ड में मजदूर की ट्रेन से टकरा कर हुई मौत
- जूही खलवा पुल के पास ट्रेन से टकराने से युवक की मौत
- गोविंदपुरी स्टेशन आउटर में अधेड़ की ट्रेन की चपेट में आने से मौत
- दादानगर बस्ती में ट्रैक पर गए युवक की ट्रेन की चपेट में आने से मौत
- गोलचौराहा पुल के नीचे शार्ट कट यूज करने पर युवती की ट्रेन से कटकर मौत
- रावतपुर स्टेशन आउटर में युवक की ट्रेन की चपेट में आने से मौत
- झकरकटी पुल के नीचे बस्ती के रहने वाले युवक की ट्रेन की चपेट में आने से मौत

हाईलाइट्स
- 228 मौत 2022 में ट्रेन की चपेट में आने से हुई
- 120 से अधिक मौत एक साल में ट्रेन से टकराने से
- 30 लोगों की बीते वर्ष ट्रेन से नीचे गिरने से हुई मौत
- 15 लोग ट्रेन की चपेट में आने से 50 परसेंट विकलांग हुए

अवेयर के लिए यह प्रयास
- सोशल मीडिया के माध्यम से
- पम्पलेट वितरण कर
- बस्तियों में बैनर लगा कर
- आरपीएफ सिपाही घर-घर जाकर अवेयर कर रहे
- ग्रामीण इलाकों में प्रधान के साथ चौपाल लगा कर

&& शार्ट कट का यूज कर रेल ट्रैक पार करने की वजह से आए दिन घटनाएं हो रही है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सोशल मीडिया समेत अन्य माध्यम से लोगों को अवेयर किया जा रहा है.&य&य
हिमांशु शेखर उपाध्याय, सीपीआरओ, एनसीआर