कानपुर(ब्यूरो)। क्या हुआ जो यहां टी-20 मैच कम होते हैं? क्या हुआ अगर यहां वनडे मैचों का अकाल है? ये ग्रीनपार्क है। यहां फैंस क्रिकेट में अंतर नहीं करते। मैच भले ही टेस्ट क्यों न हो, लेकिन उत्साह वैसा ही, जैसा टी-20, वनडे या आईपीएल में होता है। मौजूदा टेस्ट मैच में जब टीम के ज्यादातर स्टार खिलाड़ी आराम फरमा रहे हैं तब भी ग्रीनपार्क के ज्यादातर स्टैंड्स में अच्छी-खासी भीड़ जमा है। ये अपने खिलाडिय़ों को चियर करते हैं तो दूसरी टीमों का भी हौसला बढ़ाते हैं। शुक्रवार को तो फैंस के उत्साह में नया ही जोश देखने को मिला, जब पूरा स्टेडियम भोंपू और नगाड़ों की आवाज से गूंज उठा।

बने रियल थर्ड अंपायर
ग्रीनपार्क में मैच देखने पहुंचे हजारों फैंस को क्रिकेट की कितनी समझ है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब भी दोनों टीमों की ओर से डीआरएस का इस्तेमाल किया गया तब-तब थर्ड अंपायर के फैसले से पहले फैंस ने शोर के जरिए अपना फैसला सुना दिया। एलबीडब्ल्यू के लिए जब डीआरएस लिया गया तो एक्शन रीप्ले देखकर फैंस का शोर यह बताने के लिए काफी था कि गेंद बल्ले से टच हुई या नहीं, गेंद स्टंप्स की लाइन में थी या बाहर। यहां तक कि अंपायर कॉल होगी या नहीं, ये सब खिलाडिय़ों के साथ-साथ फैंस को भी पता है और इसका एग्जांपल भी उन्होंने अपने रिएक्शंस से दिया।

कई मैच शिफ्ट हुए
बीते कुछ अर्से में ग्रीनपार्क ने काफी कुछ सहा है। जब यह यूपीसीए का एकमात्र सेंटर था तब सुविधाओं की कमी का हवाला देकर यहां से कई मैच शिफ्ट किए गए। लखनऊ का इकाना स्टेडियम बनने के बाद टी-20 और वनडे के अलावा डॉमेस्टिक क्रिकेट को भी लखनऊ शिफ्ट कर दिया गया। इसके बावजूद ग्रीनपार्क को जब भी मैचों के आयोजन का मौका मिला तो उसने जी-जान से मेहमानों की आवभगत की। फैंस ने दिल खोलकर खिलाडिय़ों का स्वागत किया। सिर्फ अपनी टीम की ही नहीं, बल्कि विरोधी टीम की भी हौसलाअफजाई की। यही वजह है कि हर बार टीमें भी यहां के माहौल की कायल हैं। उम्मीद है यही माहौल आगे भी बना रहेगा।