- 5 जी नेटवर्क के लिए आईआईटी कानपुर, मुंबई और मद्रास मिलकर इस प्रोजेक्ट पर कर रहे हैं काम

- मल्टी मोबाइल यूजर्स के लिए कॉ¨लग और डेटा ट्रांसफर देखा जा रहा, सॉफ्टवेयर किया जा रहा अपडेट

KANPUR: सिटी में 5 जी नेटवर्क को लेकर टेस्टिंग शुरू हो गई है। आईआईटी से इसकी शुरुआत की गई है। आईआईटी मद्रास और मुंबई के एक्सप‌र्ट्स भी इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। अब देश में जल्द ही इस सर्विस का लाभ मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। मल्टी मोबाइल यूजर्स के लिए कॉ¨लग और डेटा ट्रांसफर को देखा जा रहा है। इंटरनेट की स्पीड जांची जा रही है।

सॉफ्टवेयर हो रहा अपग्रेड

फ‌र्स्ट फेज में स्पीड अपेक्षाकृत तेज नहीं है, इसके लिए सॉफ्टवेयर को अपग्रेड किया जा रहा है। नए हार्डवेयर की डिजाइन जारी है। यह काम मेक इन इंडिया के अंतर्गत किए जा रहे हैं।

वायस कॉलिंग में मिल चुकी सफलता

पिछली टे¨स्टग मई में हुई थी, इसमें वायस कॉ¨लग 4 जी से बेहतर थी, जबकि 5 जी के मुकाबले कुछ कमजोर रही। इसमें इंटरनेट की स्पीड 32 जीबीपीएस (गीगा बाइट पर सेकेंड) मिली, जबकि सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर को अपग्रेड करने के बाद 64 जीबीपीएस करने की तैयारी चल रही है।

अक्टूबर तक शुरू होने की उम्मीद

तीनों संस्थान मिलकर 5 जी नेटवर्क को अक्टूबर 2021 तक पूरी तरह चालू कर देंगे। उसके लिए बेस स्टेशन के उपकरण तीनों जगहों पर डिजाइन किए जा रहे हैं। आईआईटी कानपुर में इलेक्ट्रिक इंजीनिय¨रग विभाग के प्रो। रोहित बुद्धिराजा और उनकी टीम बेस स्टेशन के उपकरण तैयार कर रही है।

बेस बैंड की हो रही डिजाइनिंग

डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन के सहयोग से 5 जी टेक्नीक विकसित की जा रही है। इनकी ओर से रिसर्च के लिए फं¨डग की जा रही है। आईआईटी कानपुर बेस स्टेशन के नीचे वाला हिस्सा, जिसे बेस बैंड कहते हैं उसकी डिजाइ¨नग कर रहा है।

रेडियो फ्रीक्वेंसी यूनिट तैयार हो रही

आईआईटी मद्रास टावर के सबसे ऊपर लगने वाले रेडियो फ्रीक्वेंसी यूनिट को तैयार कर रहा है। यह यूनिट हवा में सिग्नल को पकड़ने का काम करती है। आईआईटी मुंबई के सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंजीनिय¨रग रिसर्च (समीर) की ओर से एंटिने की डिजाइ¨नग की जा रही है। आईआईटी मुंबई की ओर से कोर नेटवर्किंग पर भी काम किया ज रहा है।

वॉयस क्वालिटी बेहतर

प्रो। रोहित बुद्धिराजा के मुताबिक आवाज की क्वालिटी बेहतर मिल रही है। असली काम इंटरनेट की स्पीड पर किया जा रहा है। बेस स्टेशन पर इंटरनेट की स्पीड काफी तेज रहती है, लेकिन डेटा ट्रांसफर और उसकी प्रोसे¨सग के कारण इंटरनेट की स्पीड प्रभावित हो जाती है। नए सॉफ्टवेयर काफी बेहतर हैं। इसकी स्पीड काफी अच्छी आ रही है। कई मोबाइल यूजर्स को लेकर काम किया जा रहा है। यह काम लैब स्तर पर है।

डेटा

- 05 महीने पहले कॉल टेस्टिंग में मिल चुकी है सक्सेस

- 64 जीबीपीएस करने की तैयारी चल रही है, सॉफ्टवेयर हो रहा अपग्रेड

-01 मिली सेकेंड में डाउनलोड हो जाएगा डेटा

-5 जी में ट्रेन में चलने पर कनेक्टिविटी बेहतर मिलेगी

-10 सेकेंड अभी लगते हैं कनेक्शन लास होने पर दुबारा जुड़ने पर