-उन्नाव डीएम और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में परियर घाट में मिले शवों का कराया गया मंगलमय क्रियाकर्म

-मंगलमय श्लोक पढ़ कर पंडित से कराया हवन फिर जेसीबी से गढ्ढा खोद कर दफना दिए गए शव

-किसी भी सरकारी आदमी ने नहीं छुआ गंगा में पड़े शवों को, शराब पिला कर तीन लोगों से निकलवाए गए शव

KANPUR: परियर घाट में मिले सैकड़ों शवों को लेकर उन्नाव प्रशासन ने बुधवार को जो काम किया वैसा तो आंतकी ओसामा बिन लादेन को मारने के बाद अमेरिकी सेना ने भी नहीं किया था। उन्होंने लादेन के शव को इस्लामी रीतिरिवाज के मुताबिक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद समुद्र में दफनाया था। परियर घाट में मिली लाशों को इतना भी नसीब नहीं हुआ। उन्नाव प्रशासन ने उन्हें जिस तरह से ठिकाने लगवाया, वह दुखद था। सैकड़ों शवों के बीच लगे प्रशासनिक ठहाकों ने पीपली लाइव बने परियर घाट की तस्वीर और बिगाड़ दी। उन्नाव के किसी भी सरकारी कर्मचारी के शवों को हाथ नहीं लगाने के बाद जिस तरह से जिला प्रशासन ने अपनी बला टाली, उसने सरकारी तंत्र की असंवेदनशीलता उजागर की।

मंगलवार रात से बुधवार तक चला ये खेल

- रात से ही जेसीबी मंगवाकर शवों को दबाने का काम शुरू हुआ

- बवाल शुरू हुआ तो एसडीएम ने शवों का अंतिम संस्कार कराने की बात कही, लेकिन सुबह डीएम अंतिम संस्कार कराने की बात से पलट गई

- सांसद साक्षी महाराज के समर्थकों ने शवों का अंतिम संस्कार कराने की मांग की, लेकिन डीएम ने मना कर दिया

- उन्नाव के स्वास्थ्य विभाग की टीमें और सफाई कर्मचारी मौके पर पहुंचे, लेकिन शवों को निकालने से इनकार कर दिया

- उन्नाव के सीएमओ ने शवों के पोस्टमार्टम लायक नहीं होने की बात कही, शवों के डीएनए सैंपल लेने की बात कही

- शराब पिला कर बुलाए गए तीन लोगों ने शवों को निकालने का काम शुरू किया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी शवों के डीएनए सैंपल लेने शुरू किए

-शाम फ् बजे तक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा 8क् शवों के डीएनए सैंपल लिए गए

- डीएम, सीडीओ और तमाम पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में पूजापाठ और कर्मकाण्ड का आयोजन किया गया

- मंगल कार्य में पढ़े जाने वाले श्लोकों के साथ यज्ञ किया गया, जिसके बाद शवों को दबाने के लिए जेसीबी को लगाया गया।

लाशों के बीच पढ़ा गया मंगलम भगवान विष्णु

परियर घाट पर गंगा किनारे मिले सैकड़ों शवों के बीच ही जब उन्नाव जिला प्रशासन ने पूजा पाठ शुरू कराया तब बुलाए गए पंडित ने वह श्लोक पढ़ने शुरू कर दिए, जा कि मंगलकार्यो के दौरान पढ़े जाते हैं। पंडित जी ने गायत्री मंत्र पढ़ कर यज्ञ कराया फिर स्वाहा बोल कर्मकांड पूरा करा दिया। आखिर में गंगा जल के आचमन की बात आई तो उसी गंगा के पानी का इस्तेमाल किया गया, जिसमें यह सैकड़ों शव पड़े थे। वैसे डीएम सौम्या अग्रवाल के मुताबिक यह कर्मकांड के बाद शवों को दफनाने का फैसला परियर गांव के लोगों और उस इलाके के कई ग्राम प्रधानों की सहमति के बाद लिया गया था।

जिस पानी में डिकम्पोज हो गए शव, वही पानी पीते हैं गांव वाले

परियर गांव में पानी का मुख्य स्त्रोत गंगा नदी ही है। हर काम के लिए लोग इसी पानी का इस्तेमाल करते हैं। गांव के राजकुमार ने बताया कि कटरी क्षेत्र में कई किलोमीटर दूर तक पीने का पानी नहीं है। ऐसे में खेतों में काम करने के दौरान प्यास लगती है तो इसी पानी का इस्तेमाल करते हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक गंगा की परियर गांव की तरफ की धारा का पानी पीने तो क्या नहाने के काबिल भी नहीं है। ऐसे में अगर गांव वाले इस पानी का पीने में भी इस्तेमाल करते हैं तो यह काफी चिंताजनक है।

नरभक्षी जानवरों के बीच गंाववाले

परियर घाट के पास जिस जगह पर सैकड़ों शव फैले हुए थे। वहां पर कुत्ते और यहां तक की चील कौवे सभी नरभक्षी हो चुके हैं। गांव के मुकेश निषाद ने बताया कि गंगा किनारे फैले शवों को खाने के लिए दूर-दूर से कुत्ते और सियार आते हैं जो कि बाद में गांववालों और उनके बच्चों पर भी हमला कर देते हैं।

गंगा हम शर्मिदा हैं

-गंगा हम शर्मिदा हैं, क्योंकि तुम्हें जोड़ कर हमने जो मान्यताएं बनाईं, वही अब तुम्हारे आस्तित्व पर खतरा हैं।

-गंगा हम शर्मिंदा हैं, क्योंकि तुम्हारे नाम से हमने अपने पाप धोए, लेकिन तुमको मैला करते चले गए।

-गंगा हम शर्मिदा हैं, क्योंकि तुम्हारे उद्धार के लिए अरबों रुपए खर्च कर भी तुम्हें गंदा बनाते चले गए।

-गंगा हम शर्मिदा हैं, क्योंकि तुम्हें साफ करने के नाम पर हम सिर्फ राजनीति ही करते चले गए।

-गंगा हम शर्मिदा हैं, क्योंकि तुम्हारी पीड़ा को हमने तुम्हीं में दफना दिया।

-गंगा हम शर्मिदा हैं, क्योंकि तुम्हारी पवित्रता को बेशर्मी से हमने खत्म कर दिया।

-गंगा हम शर्मिदा हैं, क्योंकि एक सभ्यता को सींचने वाले जल को हमने लाशों को समाने वाले जल में तब्दील कर दिया।