- चौबेपुर और शिवली में आतंक और दहाश्त से जमाया सियासी वर्चस्व, वोट बैंक पर पकड़ मजबूत कर हर पार्टी में बनाई पैठ

- दबंगई के दम पर बिकरू समेत आसपास के गांवों में थी धाक, घर से चलाता था सरकार, विकास की मर्जी से तय होता था प्रधान

- दर्जा प्राप्त मंत्री का शिवली थाने में कत्ल करने के बाद बढ़ाया आतंक का साम्राज्य, चौबेपुर में 60, शिवली में 26 मुकदमे दर्ज

KANPUR: एसटीएफ ने कुख्यात विकास दुबे को खत्म कर आतंक के एक पूरे युग का भी अंत किया। कल्याणपुर से लेकर बिठूर, चौबेपुर, शिवराजपुर, शिवली, रसूलाबाद जैसे इलाकों में उसने अपनी दबंगई के दम पर दहशत का साम्राज्य खड़ा कर लिया था। मरते वक्त विकास की उम्र भले की 50 साल के करीब हो, लेकिन उसके गुनाहों की फेहरिस्त उसकी उम्र से दोगुनी से भी लंबी थी। उस पर अलग थानों में 100 के करीब मुकदमे दर्ज थे। हर दल और राजनेता से मिले साथ से अपराध का 'विकास' दिन दूना रात चौगुना होता गया।

दहशत की 'सरकार'

संगीनों के साथ राजनीतिक बाहुबल से विकास ने ऐसी 'सरकार' खड़ी कर ली थी कि उसके खिलाफ बोलने का मतलब सीधे मौत का चुनौती देना था। इसी बाहुबल से उसने बीएसपी गवर्नमेंट में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और जीता। इसके बाद अपनी पत्‍‌नी को भी जिला पंचायत सदस्य बनवाया। बिकरू समेत आसपास के कई गांवों में ग्राम प्रधान भी उसी की मर्जी से चुने गए। बिकरू गांव की प्रधानी विकास और उसके परिवार के पास दो दशक से ज्यादा वक्त से है, लेकिन विकास का ऐसा अंत होगा यह भी किसी ने नहीं साेचा था।

सबके साथ से बढ़ा 'विकास'

विकास दुबे का आतंक चौबेपुर से लेकर आसपास के इलाकों से लेकर कानपुर देहात तक था। जमीनों पर कब्जे से लेकर प्लाटिंग कराने के काम में उसने खूब पैसा भी बनाया, लेकिन उसके रसूख की बड़ी वजह उसका आतंक ही था। यह आतंक पैदा हुआ विकास के दुस्साहस से जो दिनों दिन बढ़ता ही चला गया। 2002 में भाजपा सरकार में सत्ताधारी पार्टी के ही एक दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की शिवली थाने में हत्या कर दी थी। उसके साथ अदावत रखने वाले कम नहीं थे,लेकिन राजनीतिक संरक्षण के चलते वह बचता भी रहा और आतंक भी कायम करता रहा। हालत यह हुई कि दर्जा प्राप्त मंत्री की थाने में हत्या करने के बाद भी कोई गवाह उसके खिलाफ खड़ा नहीं हो सका। थाने में मौजूद पुलिसवाले भी विकास की दहशत का सामना नहीं कर सके और गवाही से मुकर गए।

हर पार्टी में रहे संबंध

विकास दुबे ने जब दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की हत्या की तब भी उसके बीजेपी नेताओं से संपर्क रहे। पार्टी की एक महिला नेता का आशीर्वाद भी उसे मिलता रहा। वहीं जब विकास की सियासी आंकाक्षाएं जागने लगीं, लेकिन पार्टी से मदद नहीं मिली तो उसने बीएसपी का रुख किया। इस दौरान उसने जिला पंचायत का चुनाव लड़ा और जीता। इसके बाद सपा सरकार आई तो विकास ने अपनी पत्‍‌नी को सपा के समर्थन से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया। पत्‍‌नी रिचा दुबे अभी भी जिला पंचायत सदस्य है।

विकास का आपराध्िाक इतिहास

1993- पहला मुकदमा, लूट और मारपीट की धाराओं में

2004- दर्जाप्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला का थाने में कत्ल का आरोपी बना

2001- रासुका के तहत भी दर्ज हुआ मुकदमा

5- एफआईआर में हत्या का आरोपी

6- बार गुंडा एक्ट लगा

10- एफआईआर में हत्या के प्रयास का आरोप

7- बार गैंगस्टर एक्ट लगा

2- बार एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई

60- कुल एफआईआर दर्ज हो चुकी 2020 तक सिर्फ चौबेपुर थाने में

30 से 40 संगीन मुकदमे आसपास के थानों में भी दर्ज

-----------------