- स्लीपर सेल्स की विंग को ऑपरेट करते थे हाजी जी, लेडी कमांडर और तीन महिलाओं के रहने का किया था इंतजाम

- शकील पर थी एक्यूआईएस की जड़ें जमाने की जिम्मेदारी, कमांडर मिनहाज को सीधे रिपोर्ट करता था शकील

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KANPUR : गंगा किनारे बसा जाजमऊ। जहां से प्रयागराज, लखनऊ, उन्नाव, फतेहपुर और औरैया इटावा होते हुई दिल्ली पहुंचना आसान है। यहां से इन सभी जगहों की सवारियां भी आसानी से मिल जाती हैं। चंद मिनटों में मिली सवारी और चंद घंटों में जिले की सीमा पार। यही वजह है कि आतंक से जुड़े लोगों ने अपना हेडक्वार्टर जाजमऊ में बना रखा है। किसी स्लीपर सेल या संगठन के लोगों को ज्यादा दिन तक रुकना होता था तो उसे सुजातगंज, बेकनगंज, चमनगंज, अनवरगंज और मछरिया में रुकवा दिया जाता था। संगठन के लोगों की ज्यादातर मीटिंग कानपुर उन्नाव मार्ग पर स्थित धर्मस्थल या जाजमऊ में होती थी। ये सारा इंतजाम जाजमऊ में रहने वाले हाजी जी करते थे। हाजी जी स्लीपर सेल्स की विंग को ऑपरेट करते थे। ये सारी बातें सुरक्षा एजेंसियों के इंट्रोगेशन रूम में शकील ने उगली हैं। साथ ही ये भी बताया है कि लेडी कमांडर और तीनों महिलाओं की जानकारी केवल हाजी को है। वे कहां हैं? इसकी जानकारी मिनहाज को भी नहीं थी। इतनी अहम जानकारी मिलने के बाद एटीएस की टीम ने हाजी जी की तलाश शुरू कर दी है।

टूट सकता गजवातुल हिंद का माड्यूल

वेडनसडे को शकील समेत आतंक से जुड़े तीन लोग एटीएस के हाथ लग गए। शकील सब कमांडेंट था और कानपुर में इस संगठन को जमाने की जिम्मेदारी भी इस पर ही थी। घनी आबादी वाले इलाकों में किसी को रुपये देकर तो किसी को धार्मिक उन्माद में बहाकर वह आतंकी गतिविधियों में एक्टिव था। एटीएस सूत्रों की माने तो शकील को इस बात का शौक था कि लोग उसे कुछ समझें, उसे पहचाने और सलाम करें। बीते तीन सालों से वह सीतापुर रोड पर रहकर संगठन के हाथ मजबूत कर रहा था। शकील का चेहरा कानपुर वालों के लिए नया नहीं है। उसे अक्सर घनी आबादी वाले इलाकों में देखा जाता था। मछरिया चौराहे पर स्थित एक दुकान में शकील का मूवमेंट रहता था। मिठाई का शौकीन शकील इस दुकान पर घंटों बैठा रहता था। स्थानीय लोगों के मुताबिक शकील मोबाइल पर लगा रहता था।

ट्रेनिंग के दौरान दो महिलाओं की मौत

शकील ने एटीएस को जानकारी दी कि ट्रेनिंग के दौरान बारामूला में दो महिलाओं की मौत हो चुकी है। मरने वाली महिलाओं में एक औरैया की रहने वाली थी। जिसके परिवार में कोई नहीं बचा था। इस महिला की उम्र 26 साल बताई गई। दूसरी महिला उन्नाव के रूरल एरिया की रहने वाली बताई गई। जिसकी उम्र 30 साल थी। शकील के मुताबिक इस विंग में 18 से 30 साल की महिलाओं को ऑपरेशन के लिए रखा जाता था। 30 साल से ज्यादा उम्र होने पर उन्हें संगठन के दूसरे कामों में लगा दिया जाता था।