- एटीएस कर रही है जांच, कलेक्ट्रेट पहुंच एटीएस इंस्पेक्टर ने ली असलहाधारकों की डिटेल

- कलेक्ट्रेट से फर्जी टीएल बनवाकर ले जाए गए थे बिहार और झारखंड, इसके बाद से गायब

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KANPUR : फर्जी शस्त्र लाइसेंस के सहारे 25 असलहा खरीदने और उसे फर्जी ट्रेव¨लग लाइसेंस(टीएल) पर ले जाने वाले लाइसेंस धारकों की तलाश एटीएस ने शुरू कर दी है। मामले की जांच कर रहे एटीएस के इंस्पेक्टर ने वेडनसडे को कलेक्ट्रेट पहुंच कर एडीएम सिटी अतुल कुमार से मुलाकात की और ट्रैव¨लग लाइसेंस से संबंधित जानकारियां लीं। ये जानने की कोशिश की कि जिन्होंने लाइसेंस लिए थे उनके असलहे गृह मंत्रालय के पोर्टल पर दर्ज हुए हैं या नहीं। अगर दर्ज हैं तो किस जिले से दर्ज हैं। ये जानकारी होने के बाद ही एटीएस ऐसे लोगों को आसानी से पकड़ सकेगी।

5 साल पहले हुआ भंडाफोड़

एटीएस की टीम ने फर्जी लाइसेंस बनाकर उस पर शस्त्र दुकानदारों से शस्त्र खरीदने के मामले का पांच साल पहले भंडाफोड़ किया था। जांच में पाया गया था कि 2014-16 के बीच फर्जी तरीके से लाइसेंस बनाने वाले गिरोह ने मेस्टन रोड के चार दुकानदारों एके नियोगी एंड कंपनी के मालिक अमरजीत नियोगी, पूर्वांचल गन हाउस के मालिक जैनुल आबदीन, खन्ना आर्मरी के मालिक विजय खन्ना, जय जवान आ‌र्म्स डीलर के मालिक राजीव शुक्ला के यहां से असलहे खरीदे थे। असलहे ले जाने के लिए कानपुर कलेक्ट्रेट स्थित शस्त्र अनुभाग से फर्जी तरीके से टीएल भी जारी करवा लिया था। इन्हीं फर्जी लाइसेंस के आधार पर 25 असलहे लेकर इस गिरोह के सदस्य गायब हो गए थे।

चारों दुकानदारों की गिरफ्तारी

एटीएस ने इस मामले में चारों ही शस्त्र दुकानदारों को 25 जुलाई 2017 को गिरफ्तार किया था और कलेक्ट्रेट के एक लेखाकार ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था। इस मामले में अभी तक जिनके नाम ट्रेव¨लग लाइसेंस जारी किए गए थे उनका आज तक पता नहीं चल सका। अब एटीएस की कोशिश है कि किसी तरह असलहा खरीदने वालों को पकड़ा जाए। इसीलिए पोर्टल पर ये देखा जा रहा है कि अभी तक ये असलहे उस पर दर्ज हुए या नहीं।