लखनऊ (ब्यूरो)। एक बार फिर उपभोक्ता परिषद की लड़ाई रंग लाई। पावर कारपोरेशन की ओर से एनर्जी एफिशिएंसी प्रा.लि। के सीईओ को भेजे पत्र से साफ है कि प्रदेश के 11 लाख 54 हजार उपभोक्ताओं के घर लगे स्मार्ट मीटर और हाईटेक होंगे। अभी तक जहां इन स्मार्ट मीटर्स में 3जी तकनीक का यूज हो रहा है, वहीं इन्हें अपडेट कर 4जी तकनीक का कर दिया जाएगा। 4जी तकनीक यूज होने से इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा। खास बात यह है कि इसके एवज में उपभोक्ताओं से कोई भी चार्ज नहीं लिया जाएगा।

मीटर बदलने में आनाकानी

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड ने भी एनर्जी एफिशिएंसी प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ सख्ती के मूड में आ गया है। उपभोक्ता परिषद लगातार स्मार्ट मीटर तकनीक को लेकर विरोध करता चला आ रहा है और विद्युत नियामक आयोग में याचिका भी लगा चुका है। उपभोक्ता परिषद लगातार इस बात की मांग कर रहा था की ईईएसएल को पावर कारपोरेशन की तरफ से उत्तर प्रदेश में 50 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का जो काम विगत वर्षों में दिया गया था। जिसमें उसके द्वारा लगभग 11 लाख 54 हजार स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के परिसर पर पुरानी तकनीक के लगा भी दिए गए। अंतत: जब उपभोक्ता परिषद ने उसकी कारगुजारी का खुलासा किया तो स्मार्ट मीटर पर रोक लग गई। पावर कारपोरेशन ने अपने पत्र में इस बात का भी विरोध किया है की एनर्जी एफिशिएंसी प्रा। लि। पुरानी तकनीक के मीटर बदलने में आनाकानी कर रहा है।

ये होगा फायदा

4जी बेस्ड तकनीक होने से इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा की माने तो उपभोक्ताओं को इस तरह से फायदा मिलेगा

1-रिचार्ज होते ही तुरंत बिजली चालू होगी

2-सेल्फ बिलिंग व्यवस्था बेहतर होगी

3-मीटर में छेड़छाड़ की तुरंत मिलेगी जानकारी

टेंडर भी निरस्त किए जाएं

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष का कहना है कि वर्तमान में जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर 4जी तकनीक के निकाले गए हैं उसमें देश के बड़े निजी घराने सामने आ रहे हैं। इस स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को भी तत्काल निरस्त किया जाए वरना एक दिन जब ये मीटर लगने शुरू होंगे तब तक पूरे देश में 5जी तकनीक का विस्तार हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जब विद्युत नियामक आयोग द्वारा स्मार्ट मीटर का रोल आउट प्लान अनुमोदित किया गया था, उसी दौरान यह आदेश जारी किए गए थे कि जैसे-जैसे तकनीक में बदलाव होगा जो भी मीटर निर्माता कंपनी होगी, उसे उपभोक्ता परिसर पर लगे मीटरों में उच्च तकनीक परिवर्तित करना होगा, जिसका उन्हें कोई भी अतिरिक्त खर्च नहीं दिया जाएगा। टेंडर की शर्तों के अनुसार, स्मार्ट मीटरों के डिस्कनेक्टर रिकनेक्शन की सफलता लगभग 99.99 प्रतिशत होनी चाहिए थी, पर वर्तमान में डिस्कनेक्शन की सफलता केवल 93 प्रतिशत ही प्राप्त हो रही है, जो काफी गंभीर मामला है।