लखनऊ (ब्यूरो)। ब्रिटिश काल में 1911 में अंग्रेज आग बुझाने के लिए लंदन से तीन फायर ब्रिगेड व्हीकल लेकर आए थे। 1974 में भारत पाकिस्तान के विभाजन के दौरान इसी मॉडल की एक फायर ब्रिगेड पाकिस्तान को दे दी गई थी जबकि दूसरी महाराष्ट्र चली गई थी। वहीं तीसरी यूपी फायर ब्रिगेड को मिली थी। इन दोनों व्हीकल के रिकार्ड नहीं है जबकि लखनऊ के चौक फायर ब्रिगेड में मेरी वेदर लंदन के नाम से यह विंटेज फायर ब्रिगेड आज भी शोभा बढ़ा रही है।

हौसला बढ़ा रही विभाग का
मेरी वेदर लंदन फायर ब्रिगेड का नंबर भी यूएस का है। इसका नंबर यूएसजे 1956 है जबकि यह 1911 मॉडल की है और फायर सर्विस में 1911 से अपनी सेवा दे रही है। वर्तमान में भले ही यह आग बुझाने में सक्ष्म नहीं है, फिर भी विभाग की अगुवाई करके न केवल फायर कर्मियों का हौसला बढ़ा रही है बल्कि देश का भी मान बढ़ा रही हैै।

तीन ड्राइवर ने अब तक चलाया
वर्तमान में मेरी वेदर लंदन गाड़ी को फायर विभाग के सब इंस्पेक्टर इकबाल अहमद चलाते हैं। इकबाल बताते हैं कि 1991 से उन्होंने इस विंटेज गाड़ी की स्टेरिंग व रखरखाव की जिम्मेदारी संभाली थी, जिसे आज तक निभा रहा हूं। अभिलेख के अनुसार 1911 से लेकर 1990 तक तीन अन्य पुलिस कर्मियों ने अलग-अलग टीम पर अपनी पूरी नौकरी व जीवन काल तक इसकी सेवा की हैै।


1 लीटर में चलती है मात्र 2 किमी
विटेंज फायर ब्रिगेड अपनी खासियत के लिए भी जानी जाती है। हालांकि इसका एवरेज सुनकर किसी बड़ी से बड़ी लग्जरी गाडिय़ां भी शर्मा जाएंगी। पहले इसका एवरेज मील (दूरी) पर मापा जाता था, लेकिन समय बदलने के साथ इसका एवरेज अब किमी पर मापा जाता है। चौक फायर ब्रिगेड के प्रभारी राम मिलन गौतम के अनुसार इस विंटेज गाड़ी का एवरेज एक लीटर में मात्र दो किमी है। यह पेट्रोल गाड़ी है। हालांकि इसका सालाना मेेंटीनेंस का सरकारी खर्च 3 से 5 हजार रुपये ही है।
विदेशी के साथ स्वदेशी लुक
गाड़ी चलाने वाले सब इंस्पेक्टर इकबाल अहमद ने बताया कि इस गाड़ी में आम गाडिय़ों की तरह गेयर व ब्रेक नहीं हैं। गाड़ी के पेट्रोल टंकी की क्षमता 50 लीटर है। हर गाड़ी में बायें हाथ में गेयर होते हैं जबकि इस विंटेज गाड़ी में दाहिने तरफ गेयर हैं। यह गाड़ी चाबी से नहीं बल्कि हैैंडल से स्टार्ट होती है। गाड़ी का एक्सीलेटर व ब्रेक भी अन्य गाडिय़ों से विपरीत तरफ लगा है।

टायर नहीं व्हील में लगती है रबड़
यह विंटेज कार टायर पर नहीं चलती है। बल्कि इसमें लगे लोहे की व्हील पर रबड़ चढ़ाई जाती है। करीब बीस साल पहले इसकी रबड़ खत्म हो गई थी। जिसके बाद तत्कालीन डीजीपी विक्रम सिंह ने पहले हैदराबाद फिर कानपुर से व्हील पर रबड़ चढ़ाने की मदद की थी। इस फायर ब्रिगेड में आग बुझाने के समय मददगार सीढ़ी भी लकड़ी या स्टील की नहीं बल्कि लेदर की बनी हैै। इसके अलावा इसकी हैडलाइट बैटरी से नहीं बल्कि केमिकल के जरिए (लालटेन) की मदद से जलती हैै।

1991 से मेरी वेदर लंदन को मैैं चला रहा हूं। यह मेरी सर्विस में मेरे लिए सबसे ज्यादा गर्व की बात है। 1911 मॉडल की इस गाड़ी पर सवार होने पर मेरे अंदर ऐसा आत्मविश्वास आ जाता है। मुझे गर्व होता है कि मैं देश ही नहीं दुनिया का ऐसा व्यक्ति हूं जो इसे चला रहा हूं।

- इकबाल अहमद, सब इंस्पेक्टर फायर सर्विस


लखनऊ फायर विभाग की शान है मेरी वेदर लंदन फायर ब्रिगेड। 111 साल पुरानी फायर ब्रिगेड पूरे भारत में केवल यूपी फायर सर्विस के पास ही है। कई बार एजेंसियों ने इसे गोद लेने का प्रयास किया, लेकिन फायर विभाग ने कभी इसे किसी को नहीं सौंपा।

राम मिलन गौतम, प्रभारी चौक फायर सर्विस