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लखनऊ (ब्यूरो)। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद यूपी मेट्रो की ओर से ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर का अपडेट डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंप दी गई है। इसमें साफ है कि चारबाग से बसंतकुंज के बीच कुल 12 मेट्रो स्टेशंस बनेंगे, जिसमें से सात स्टेशन अंडरग्राउंड होंगे। इसके साथ ही पांच स्टेशंस एलिवेटेड रहेंगे। फस्र्ट कॉरिडोर की तरह ही सेकंड कॉरिडोर में बनने वाले स्टेशंस भी अपनी खूबसूरती से लोगों को आकर्षित करेंगे।

5 साल में पूरा होगा कॉरिडोर का काम
चारबाग से बसंतकुंज तक ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर की कुल मार्ग लंबाई 11.165 किलोमीटर होगी। जिसमें एलिवेटेड लंबाई 4.286 किलोमीटर होगी जबकि भूमिगत लंबाई 6.879 किलोमीटर होगी। इस कॉरिडोर में कुल स्टेशनों की संख्या 12 होगी, जिसमें सात भूमिगत और पांच एलिवेटेड स्टेशन होंगे। इस प्रस्तावित कॉरिडोर के पूरा होने का अनुमानित समय 5 साल है। इस परियोजना पर कुल 5034.55 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

ये रहेंगे स्टेशंस
-चारबाग (भूमिगत)
-गौतमबुद्ध नगर (भूमिगत)
-अमीनाबाद (भूमिगत)
-पांडेयगंज (भूमिगत)
-सिटी रेलवे स्टेशन (भूमिगत)
-मेडिकल चौराहा (भूमिगत)
-नवाजगंज (भूमिगत)
-ठाकुरगंज (एलिवेटेड)
-बालागंज (एलिवेटेड)
-सरफराजगंज (एलिवेटेड)
-मूसाबाग (एलिवेटेड/ऊंचा)
-बसंतकुंज (एलिवेटेड/ऊंचा)

पुराने लखनऊ के प्रमुख एरिया होंगे कनेक्ट
इस कॉरिडोर के शुरू होने के बाद पुराने लखनऊ के मेन एरिया में ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी बेहतर हो जाएगी। वर्तमान समय में चौक, अमीनाबाद में पार्किंग की बड़ी समस्या है। जिसकी वजह से लोगों को अपने व्हीकल पार्क करने में समस्या आती है। ये इलाके जाम की समस्या से भी पीडि़त हैं। मेट्रो कनेक्टिविटी बेहतर होने से निश्चित रूप से इन इलाकों में ट्रैफिक की समस्या काफी हद तक समाप्त हो जाएगी। लोग मेट्रो के माध्यम से आसानी से अमीनाबाद या चौक जा सकेंगे। चारबाग मेट्रो स्टेशन लखनऊ के दोनों कॉरिडोर यानी नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर और ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के जंक्शन के रूप में काम करेगा।

बसंतकुंज में बनेगा मेट्रो डिपो
इस कॉरिडोर का डिपो बसंतकुंज में बनाया जाएगा। फरवरी 2019 में 11.165 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर के निर्माण के लिए अनुमानित पूंजीगत लागत 3786 करोड़ रुपये थी, जो अब बढ़कर 4264.89 करोड़ हो गई है। डीपीआर को 750 डीसी ट्रैक्शन सिस्टम के साथ भी अपग्रेड किया गया है, जिसका अनुपालन कानपुर और आगरा मेट्रो परियोजना में किया जा रहा है। जिसका पालन मुख्य रूप से लखनऊ मेट्रो परियोजना में पतंगों में धातु के तार के परिणामस्वरूप होने वाली गंभीर ओएचई फ्लैशिंग समस्या के कारण किया जा रहा है।

स्वीकृति मिलते ही काम शुरू
मेट्रो की ओर से सेकंड कॉरिडोर का निर्माण शुरू करने को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैैं। प्रदेश सरकार से स्वीकृति मिलते ही इस कॉरिडोर पर काम शुरू कर दिया जाएगा। इस कॉरिडोर के बनने से कहीं न कहीं व्यापार सेक्टर को भी फायदा होगा क्योंकि चौक, अमीनाबाद एरिया को व्यापार का हब माना जाता है। मेट्रो प्रशासन को उम्मीद है कि इस कॉरिडोर के बन जाने से व्यापार को भी रफ्तार मिलती नजर आएगी।

(लेखक @Dharmendra_Lko दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में सीनियर न्यूज एडिटर हैं )