प्लाज्मा डोनेट करने से कोई नुकसान नहीं होता

- वैक्सीनेटेड लोग नहीं कर सकते प्लाज्मा डोनेट

द्यह्वष्द्मठ्ठश्र2@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

रुष्टयहृह्रङ्ख: कोरोना महामारी से लड़ाई में जहां दवाई, वैक्सीन, ऑक्सीजन को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं प्लाज्मा थेरेपी भी कारगर साबित हो रही है। यही कारण है कि डॉक्टर लोगों से लगातार प्लाज्मा डोनेट करने की अपील कर रहे हैं। अगर आप कोरोना से जंग जीत चुके हैं तो आगे आकर प्लाज्मा डोनेट करें और दूसरों की जान बचाने में अपना सहयोग दें। प्लाज्मा डोनेट करने से कोई नुकसान नहीं होता है।

350 एमएल ब्लड की जरूरत

रेड ब्लड सेल्स हटा दें तो प्लाज्मा 200 एमएल ही लिया जाता है, इसके लिए डोनर से 350 एमएल ब्लड लिया जाता है, जिसमें 150 प्रिजर्वेटिव मिलते हैं। इसके लिए सेपरेटर मशीन का यूज किया जाता है। हमारे ब्लड में कुल 70 फीसद ही प्लाज्मा होता है। देखा जाए तो कुल मिलाकर डोनर एंटीबॉडी ही देता है जो वायरस पर हमला करती है।

दो तरह की एंटीबॉडी

एंटीबॉडी दो तरह की होती है। पहली अल्ट्रा सोटेक्ट जो सप्ताह भर रहती है, वहीं दूसरी एंटीबॉडी लंबे वक्त तक रहती है। कोरोना नेगेटिव हो चुके लोग 14 दिन बाद ब्लड डोनेट कर सकते हैं। उनके सैंपल को माइनस 30 डिग्री टेंप्रेचर पर रखा जाता है।

नहीं आती कमजोरी

लोकबंधु अस्पताल के डॉ। रूपेंद्र ने बताया कि लोगों के मन में डर है कि प्लाज्मा डोनेट करने से कमजोरी आ जाती है, जबकि ऐसा है नहीं। कोविड निगेटिव होने के 14 दिन बाद एंटीबॉडी बनने लगती हैं। अगर डोनर चाहे और उसकी एंटीबॉडी अच्छी है तो वह प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।

पहले दिखाएं निगेटिव रिपोर्ट

राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ। देवाशीष शुक्ला ने बताया कि प्लाज्मा डोनेट करने से इम्युनिटी मजबूत होती है और ब्लड बनने की प्रक्रिया और बेहतर हो जाती है। एफरेसिस ऐसी मशीन है जिससे ब्लड लेकर प्लाज्मा को अलग करते हैं और ब्लड को फिर से शरीर में डाल दिया जाता है। प्लाज्मा डोनेट करने के लिए आपको कोविड निगेटिव की रिपोर्ट साथ लानी होगी।

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क्यों करते हैं इसका यूज

एसजीपीआई के डॉ। संदीप साहू ने बताया कि जानकारी की कमी के कारण लोग प्लाज्मा डोनेट करने में डर रहे हैं। प्लाज्मा का कोई रिकमेंडेशन साइंटिफिक नहीं है। यह फ‌र्स्ट लाइन थेरेपी नहीं है। इससे मरीज को रेस्क्यू किया जाता है। मान लीजिए किसी को बैटरी लग दी गई है और वह इंप्रूव नहीं कर रहा है तो टक्सीडो दवा दी जाती है, जिसका प्रभाव और दुष्प्रभाव दोनों हैं। इसका मतलब वह वेंटिलेटर पर जाने की ओर है ऐसी स्थिति में प्लाजमा थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है।

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ये नहीं दे सकते प्लाज्मा

- गर्भवती महिलाएं

- जिनके शरीर में एंटीबॉडी कम है

- जिनके पास कोविड निगेटिव की रिपोर्ट न हो

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ये लोग कर सकते हैं डोनेट

- 50 किलो से अधिक वजन के लोग

- निगेटिव रिपोर्ट आने के 14 दिन बाद

- 640 से अधिक टाइगर वैल्यू न हो

- 18 से 60 साल के लोग

- महीने में एक बार ही प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं

कोट

रेड ब्लड कार्पल्स तीन-चार माह में मर जाते हैं, इसलिए अच्छा है कि तीन-चार माह में ब्लड डोनेट किया जाए। इससे किसी का भला हो सकता है। यदि कोई पेशेंट निगेटिव हो गया है तो वह चार से छह सप्ताह में प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।

डॉ। डीएस नेगी, महानिदेशक स्वास्थ्य