30 लाख से ऊपर गाडि़यां शहर में

10 लाख से अधिक गाडि़यां उगल रहीं धुआं

15 सिगरेट के बराबर एक गाड़ी का धुआं

70 फीसदी वाहनों के पास पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं

7 लाख से अधिक गाडि़यां 15 साल से पुरानी

20 लाख वाहन रोज दौड़ रहे शहर में

- शहर की सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं अनफिट वाहन

- 70 फीसदी वाहनों के पास पीयूसी सर्टिफिकेट तक नहीं

LUCKNOW शहर में एयर पॉल्यूशन का ग्राफ कम नहीं होने वाला है, इसकी वजह यह है कि शहर की सड़कों पर धड़ल्ले से अनफिट वाहन दौड़ रहे हैं। जिससे एयर पॉल्यूशन के ग्राफ में इजाफा हो रहा है। हैरानी की बात यह है कि जिम्मेदारों की ओर से अनफिट वाहनों को सीज करने के लिए चेकिंग अभियान चलाए जाने का दावा तो किया जाता है लेकिन यह कागजों में ही सिमट कर रह जाता है।

वाहनों की संख्या बढ़ रही

कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में जरुर वाहनों की खरीद में गिरावट दर्ज की गई लेकिन अनलॉक होते ही वाहनों की खरीद में उछाल देखने को मिल रही है। सरकारी आंकड़ों पर गौर फरमाए तो प्रदेश में सबसे अधिक 24 लाख वाहन राजधानी में हैं।

15 साल पुराने वाहनों पर ब्रेक नहीं

एक तरफ तो ऐसे वाहन दौड़ रहे हैं, जिनके पास पीयूसी (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल) सर्टिफिकेट नहीं है, वहीं दूसरी तरफ ऐसे वाहन भी हैं, जो 15 साल से अधिक पुराने हो चुके हैं। परिवहन विभाग की गाइडलाइन में साफ है कि अगर 15 साल की आयु पूरी करने के बाद वाहन का री-रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जाता है तो निर्धारित समयावधि से छह माह बाद वाहन को सीज कर दिया जाएगा लेकिन हकीकत में ऐसी कार्रवाई नहीं होती है।

एक लाख नए वाहन

अभी फेस्टिव सीजन चल रहा है, ऐसे वाहनों की संख्या में भी इजाफा देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों की माने तो अगले दो माह के अंदर एक लाख से अधिक नए वाहन रोड पर उतर सकते हैं।

वर्जन

गाडि़यों से निकलने वाले धुएं से फेफड़ों में इंफेक्शन के साथ ही सांस संबंधी बीमारी हो सकती है। अस्थमा अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है।

डॉ। एके गुप्ता, सीनियर चेस्ट फिजिशियन

अनफिट वाहनों पर शिकंजा कसने के लिए नियमित रूप से चेकिंग अभियान चलाया जाता है और कार्रवाई की जाती है। 15 साल पुराने ऐसे वाहनों को भी जब्त किया जा रहा है, जिन्होंने री रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है।

रामफेर द्विवेदी, आरटीओ