लखनऊ (ब्यूरो) । देश के सबसे संवेदनशील मुकदमे का फैसला नवंबर 2019 को आना था। इसे देखते हुए शासन ने एहतियात के तौर पर राजधानी सहित पूरे प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी थी। जनवरी 2020 में लखनऊ में कमिश्नरेट प्रणाली लागू की गई। इसके बाद से स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, त्योहार, आंदोलन व प्रदर्शन का हवाला देकर इसका खुलकर प्रयोग किया जाने लगा। कर्मचारी संगठनों, किसान संगठनों, राजनीतिक दलों के प्रदर्शन व आंदोलनों को देखते हुए इसकी समय सीमा में बढ़ोत्तरी की जाने लगी।

एनआरसी व सीएए के विरोध ने बढ़ाई जरूरत
8 नवंबर को राम मंदिर के फैसले के बाद उपद्रव व विरोध की आशंका को देखते हुए धारा का प्रयोग किया गया। इसके बाद राजधानी में दिसंबर में एनआरसी और सीएए को लेकर उग्र प्रदर्शन शुरू हो गये। यह सिलसिला पिछले दो साल से लगातार जारी है। इसके बाद भी प्रदर्शन व धरनों में कमी नहीं आई। अब इस धारा का प्रयोग पुलिस एक हथियार के रूप में कर रही है।
बवाल होने पर लागू रही व्यवस्था
19 दिसंबर को प्रदर्शन के दौरान दो पुलिस चौकियां और कई सरकारी वाहन जला दिये गये। वहीं इसके विरोध में पुराने लखनऊ के घंटाघर और गोमतीनगर सहित कई इलाकों में लोग विरोध प्रदर्शन करने लगे, जिसे देखते हुए प्रशासन ने राजधानी में धारा 144 का प्रयोग किया, जो कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद भी जारी रहा।
त्योहार पर भी व्यवस्था लागू
फरवरी में मुश्किल से विरोध प्रदर्शन हटा तो होली व अन्य त्योहारों को लेकर इसका प्रयोग किया गया। इसके बाद तो अनवरत रुप से इसका प्रयोग जारी रहा।

कोविड कॉल में सबसे कारगर हथियार रहा
पुलिस अधिकारी के मुताबिक पिछले साल मार्च में कोविड-19 का काफी तेजी से प्रभाव रहा। इससे पूरा देश प्रभावित हो गया। सैकड़ों लोगों की जान तक चली गई। सरकार ने लॉकडाउन लगाया। वहीं जब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की गई तो सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर चिंताएं बढऩे लगी थी। इस पर धारा-144 का भरपूर प्रयोग किया गया।

दो साल में 5 सौ से ज्यादा केस दर्ज
इस आपदा काल में धारा 144 ही एक ऐसा कारगर हथियार रहा जिससे लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया गया। इस साल भी लॉकडाउन के दौरान इस धारा ने लोगों के बीच दूरी बनाने का काम किया। वहीं दोनों साल कोविड काल में 500 से अधिक मुकदमे दर्ज किये गये, जिसमें धारा 144 के उल्लंघन करने पर धारा 188 के तहत मुकदमे दर्ज किये गये।


धारा 144 लगाने का उद्देश्य लोगों को भयभीत करने का नहीं है। इसका प्रयोग सिर्फ कानून-व्यवस्था प्रभावित करने वाले कार्यों को प्रतिबंधित करना है। वर्ष 2020 की शुरुआत से ही कोराना ने दस्तक दे दी थी। ऐसे में लॉकडाउन से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी सुनिश्चित कराना था। धारा 144 के तहत कानून-व्यवस्था का उल्लंघन करने वाले उपद्रवियों पर कार्रवाई होती है। आम आदमी को इससे डरने की जरूरत नहीं है।
पीयूष मोर्डिया, जेसीपी लॉ एंड आर्डर