लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के डॉ डी हिमांशु की माने तो हाइपरटेंशन होने की कई वजह होती हैं। जिसमें स्ट्रेस लेवल, वर्कलोड लेवल, सॉल्ट इनटेक समेत कई अन्य कारण शामिल होते हैं। शहर के लोग संयुक्त परिवार के कांसेप्ट से दूर होते जा रहे हैं और उनका खानपान बिगड़ता जा रहा है। जिससे यहां यह ज्यादा समस्या सामने आ रही है।

बार्डर लाइन वाले रहें सर्तक
डॉ डी हिमांशु ने बताया कि बहुत से लोगों को पता ही नहीं होता है कि उनको बीपी की समस्या है। ऐसे में एमब्यूलेट्री बीपी मॉनीटरिंग मशीन लगाई जाती है। यह मशीन अगले 24 से 48 घंटे की रीडिंग लेती है। अगर रात को सोते समय बीपी लेवल डाउन नहीं होता तो उस व्यक्ति को बीपी की समस्या होती है। दूसरा अगर लेवल बढ़ रहा है, तो उनको हायपरटेंशन की समस्या है। जिसे दवा से कंट्रोल किया जाता है। ऐसे में लोगों को सलाह दी जाती है कि वे तीन से छह माह में बीपी और शुगर चेक कराते रहें। बीपी चेक न कराने के कारण लोगों को पता ही नहीं चलता कि वे इस बीमारी का शिकार हो चुके हैं।

आगे आ सकती हैं ये समस्याएं
- बीपी का आपके ब्रेन, किडनी, हार्ट और आंखों पर सर्वाधिक असर
- बीपी को अगर कंट्रोल न किया गया तो ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी
- हाई बीपी से हार्ट अटैक और हार्ट फेल होने की भी आशंका
- हाइपरटेंशन की वजह से हार्ट अगर तेजी से ब्लड सप्लाई करने लगता है तो हार्ट के साथ-साथ इसका किडनी पर भी असर

कम हो जाता है 60 फीसद रिस्क
एसजीपीजीआई के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। नवीन गर्ग ने बताया कि जिन लोगों को बीपी की समस्या होती है, उनमें से करीब 40 फीसद मरीजों में आगे चलकर इसका कोई न कोई प्रभाव जरूर पड़ता है। अगर बीपी को कंट्रोल कर लिया जाए तो आगे आने वाला रिस्क 60 फीसद तक कम हो जाता है।


इन लक्षणों पर रखें नजर
- सिर दर्द का बना रहना
- चक्कर आने की समस्या
- हार्ट रेट का बढ़ जाना
- थकान और सुस्ती आना
- सांसों का तेज चलने लगना
- आंखों में लाली आ जाना


ऐसे करें बचाव
- किसी तरह का तनाव न लें
- खाने में नमक की मात्रा कम रखें
- फास्ट फूड खाने से बचें
- फल और सब्जियों का सेवन करें
- लाइफस्टाइल में सुधार करें


सर्वे के प्रमुख बिंदु
- सर्वे में 14 साल से अधिक की उम्र के लोग शामिल
- हाइपरटेंशन की समस्या बढ़ती जा रही है
- ग्रामीण एरिया में कम लोग इसका शिकार हैं


अगर रात को सोते समय बीपी स्तर कम नहीं होता तो बीपी की समस्या है। डॉक्टर की सलाह से दवा लेकर इसे कम किया जा सकता है। -

डॉ डी हिमांशु, केजीएमयू

हाइपरटेंशन की वजह से किडनी, हार्ट, आई और ब्रेन पर असर पड़ता है। बीपी कंट्रोल करने से 60 फीसदी तक रिस्क कम हो जाता है।

डॉ नवीन गर्ग, एसजीपीजीआई