- सुपर न्यूमैरिक सिस्टम के अनुसार हर शिक्षक को मिलेगी एक सीट

LUCKNOW : लखनऊ विश्वविद्यालय पहली बार पार्ट टाइम पीएचडी दाखिले शुरू करेगा। इसमें वही अभ्यर्थी दाखिले के लिए पात्र होंगे जो किसी भी संस्थान में पांच साल से नौकरी कर रहे हों। इनके दाखिले मेरिट के आधार पर होंगे। विवि द्वारा लागू किए गए पीएचडी आर्डिनेंस-2020 में यह व्यवस्था अनिवार्य की गई है।

सत्र एक साल लेट

एलयू में पीएचडी दाखिले का सत्र एक साल लेट चल रहा है। इस बार सत्र 2020-21 के दाखिले की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। यूनिवर्सिटी ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की तर्ज पर नौकरी के साथ शोध करने के लिए पार्ट टाइम पीएचडी कराने का फैसला लिया है। इसका आर्डिनेंस भी राजभवन से पास हो चुका है, जिसमें प्रवेश के लिए पांच साल की नौकरी की अनिवार्यता रखी गई है।

छह महीने में सिर्फ छह दिन आएं

वीसी प्रो। आलोक कुमार राय ने बताया कि पार्ट टाइम पीएचडी में प्रवेश के लिए अभ्यर्थियों को अनुभव का वेटेज भी दिया जाएगा, क्योंकि कोई पांच साल तो कोई 20 साल से नौकरी कर रहा होगा और शोध करना चाहता है। इन अभ्यर्थियों को कोर्स वर्क में रोजाना उपस्थिति नहीं दर्ज करानी होगी। सिर्फ छह महीने में छह दिन की उपस्थिति अनिवार्य है लेकिन, कोर्स वर्क एग्जाम पास करना जरूरी है।

सुपर न्यूमैरिक सिस्टम होगा लागू

पार्ट टाइम पीएचडी के लिए सुपर न्यूमैरिक व्यवस्था लागू होगी यानी एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पार्ट टाइम पीएचडी करने वाले एक-एक शोधार्थी को अपने पास रजिस्टर्ड कर सकेंगे।

नहीं आया यूजीसी से जवाब

रेगुलर पीएचडी दाखिले के लिए एलयू ने यूजीसी को पत्र भेजकर ईडब्ल्यूएस कोटे पर मार्गदर्शन मांगा था। प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने वाली है और अभी तक यूजीसी से कोई जवाब नहीं आया है। ऐसे में विश्वविद्यालय पिछली बार की तरह ही व्यवस्था लागू कर सकता है।

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380 सीटों का ब्योरा आया

एलयू प्रशासन ने पीएचडी की सीटों का ब्योरा देने के लिए सभी विभागों को पहले 23 फरवरी और फिर 25 फरवरी तक मौका दिया। डीन एडमिशन प्रो। वीके शर्मा ने बताया कि अब तक पीएचडी की 380 सीटों की डिटेल आ गई है। हिन्दी, जूलाजी, फिजिक्स और अरेबिक से शुक्रवार तक सूचना देने के लिए कहा गया है।