लखनऊ ब्यूरो: मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली अध्यक्ष इदारा ए शरइया, दारुल इफ्ता वल कजा फिरंगी महल ने बताया इस बार 50 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से सदका ए फितर अदा करना होगा। फितरा रमजान के रोजे की कमी को पूरा करने के लिए या जान के सदके के तौर पर ईद उल फितर के दिन या पहले या बाद में दिया जा सकता है।

फितर हर साहिब ए निसाब पर

मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली ने आगे बताया कि सदका ईद उल फितर हर साहिब ए निसाब के ऊपर उसकी जिम्मेदारी में सभी छोटे बड़े परिवार के सदस्य की तरफ से दिया जाएगा। रमजान के रोजे सन दो हिजरी में फर्ज हुए और रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने ईद से दो दिन पहले अपने खुतबे में फरमाया की हर छोटे-बड़े की तरफ से एक सा गेहूं, दो आदमी की तरफ से या एक सा खजूर या जौं एक शख्स की तरफ से जो आजाद हो या गुलाम छोटा हो या बड़ा हो उसकी तरफ से अदा करो।

ज्यादा से ज्यादा दें फितरा

मुफ्ती साहब ने कहा सदका ईद उल फितर इस्लाम के इतिहास में जकात से पहले वाजिब हुआ। सदका ईद उल फितर गरीबों, मोहताज या मदारिस के गरीब बच्चों या अपने गरीब रिश्तेदारों को देना ज्यादा बेहतर है। एक आदमी की तरफ से फितरा एक आदमी को भी दिया जा सकता है या कई आदमियों को दिया जा सकता है। सभी मुसलमानों से अपील है कि ज्यादा से ज्यादा सदका ए पिुतर का एहतमाम करने और ईद उल फितर से पहले ही उसे जरूरतमंद और गरीबों तक पहुंचाने की कोशिश करें। ताकि सभी अमीर गरीब की जरूरत वक्त रहते पूरी हो सके।

सुन्नी सवाल-जवाब

सवाल: रमजान में कौन-कौन से वजायफ ज्यादा पढऩे का हुक्म है?

जवाब: रसूल पाक सल्ल। का फरमान है कि इस माह में चार चीजों की कसरत करो-कलमा तैय्यिबा, इस्तिगफार, ज्यादा से ज्यादा जन्नत की तलब और जहन्नम से पनाह।

सवाल: रमाजन में इफ्तार के वक्त मगरिब की नमाज में कितनी देर की जा सकती है?

जवाब: इफ्तार के लिए मगरिब की जमाअत में पांच या सात मिनट की देर की जा सकती है।

सवाल: अगर किसी शख्स की इशा की नमाज छूट गयी है तो क्या फर्ज की कजा के साथ-साथ वित्र की भी कजा करनी होगी?

जवाब: वित्र की नमाज वाजिब है। उसकी भी कजा करनी होगी।

सवाल: एक औरत का शौहर गरीब है। मेहनत मजदूरी करता है। क्या उनको जकात व खैरात देना सही है?

जवाब: अगर वह मुस्तहक है तो सही है।

सवाल: एक शख्स ने जकात की रकम मनी आर्डर के जरिये भेजी लेकिन वह रकम मिली नहीं है, तो क्या वह शख्स की जकात अदा हो जाएगी?

जवाब: नहीं अदा होगी।

शिया सवाल-जवाब

जवाब: अगर कोई व्यक्ति भूल से या जान बूझ कर सफर की हालत में रोजा रख ले तो क्या हुक्म होगा?

जवाब:मुसाफिर का रोजा बातिल होगा।

सवाल: खुम्स और जकात में क्या अंतर है?

जवाब: शिया धर्म में खुम्स नकद माल पर निकाला जाता है और जबकि जकात मुअय्यन चीजों पर मुअय्यन मिकदार होने के अलावह बारहवें महीने में दी जाएगी।

सवाल: अगर कोई व्यक्ति किसी बिमारी की वजह से रोजा छोड दे तो क्या वह गुनाहगार हो और कफ्फारा वाजिब होगा?

जवाब: किसी बिमारी की वजह से रोजा छोड़े दे तो वह गुनाहगार नहीं होगा और कफ्फारा वाजिब नहीं होगा।

सवाल: वुजू से पहले कुल्ली करना नाक में पानी डालना वुजू का हिस्सा है और जरूरी है?

जवाब: वुजू से पहले कुल्ली करना नाक में पानी डालना हाथ धोना मुस्तहब है। वाजिब नहीं है। अगर किया जाए तो सवाब मिलेगा।

सवाल: अगर किसी व्यक्ति ने रमजान के पूरे महीने की नियत कर ली हो और वह बिमार हो जाए तो क्या हुक्म है?

जवाब: क्योंकि बिमारी अचानक है लिहाजा वह रोजा छोड़ देगा। फिदया देगा कफ्फारा वाजिब ना होगा।