लखनऊ (ब्यूरो)। अगर किसी महिला को माहवारी के दौरान लगातार तेज दर्द बना हुआ हो तो तुरंत सतर्क होकर किसी विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। ये लक्षण एंडोमेट्रियोसिस बीमारी के हो सकते है। यह समस्या 15-45 वर्ष की महिलाओं में सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है। केजीएमयू के आब्स एंड गाएनी विभाग में लगातार इस तरह के मामले आ रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, इसके कारण इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। ऐसे में समय रहते इसका इलाज बेहद जरूरी है।

यह होता है एंडोमेट्रियोसिस

क्वीन मेरी की हेड डॉ। अंजू अग्रवाल ने बताया कि जब यूटरस के अंदर की सेल्स वहां के अलावा बॉडी के अन्य पार्ट्स में भी बढ़ने लग जाएं तो उस स्थिति को एंडोमेट्रियोसिस कहते हैं। हालांकि, इसके होने का सही कारण किसी को नहीं पता। पर कुछ एक्सपर्ट इसे पीरियड्स के दौरान निकलने वाले ब्लड के बाहर न निकलने के कारण इसका होना बताते हैं।

10 फीसदी मरीजों में यह समस्या

डॉ। अंजु अग्रवाल बताती हैं कि यह समस्या लगातार महिलाओं में बढ़ती जा रही है। ओपीडी में इस तरह के 8-10 फीसदी तक मामले आ रहे हैं। यह समस्या रिप्रोडक्शन वाली एज यानि 15-45 वर्ष की महिलाओं में ज्यादा होती है। ओपीडी में आने वाली मरीजों में यह समस्या 20-30 वर्ष की महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। हालांकि, यह 40 पार की महिलाओं में भी हो सकता है।

लक्षण के आधार पर ट्रीटमेंट

इस प्रॉब्लम का कोई सौ फीसदी इलाज नहीं है। हालांकि, लक्षण यानि दर्द कितना तेज है, उसके आधार पर ट्रीटमेंट दिया जाता है। हालांकि, यह कैंसर रेयरली बनता है, चूंकि यह हार्मोनल कारक ज्यादा है, इसलिए यूटरस या ओवरी निकालना भी पड़ सकता है। हालांकि, यह तरीका अंतिम उपाय होता है। ऐसे में पेन ज्यादा होने पर दवाएं दी जाती हैं।

हो सकती हैं कई तरह की समस्याएं

इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है। ऐसे में समस्या बढ़ने पर इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। यह बीमारी अगर ग्रेड 1 या 2 स्टेज में है तो इलाज आसान होता है। लेकिन, ग्रेड 3-4 होने पर दिक्कत ज्यादा होने से इनफर्टिलिटी की समस्या होती है। इसलिए अगर माहवारी से पहले और बाद या फिर फीजिकल रिलेशन बनाने के दौरान तेज दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

एंडोमेट्रियोसिस की समस्या 15-40 वर्ष की महिलाओं में लगातार बढ़ रही है। इसको लेकर महिलाओं में जागरूकता की भी कमी है। समस्या बढ़ने पर इनफर्टिलिटी का रिस्क बढ़ जाता है।

-डॉ। अंजु अग्रवाल, हेड, क्वीन मेरी