लखनऊ (ब्यूरो)। केंद्र सरकार के 2025 तक टीबी मुक्त के संकल्प पर प्राइवेट डॉक्टर पानी फेर रहे हैं, क्योंकि कई निजी अस्पताल व डॉक्टर टीबी के मरीजों का नोटिफिकेशन ही नहीं दे रहे हैं, जिसकी वजह से टीबी के मरीजों का सही आंकड़ा नहीं मिल पा रहा है। अस्पतालों की मनमानी के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे अस्पतालों और डॉक्टरों पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। करीब 20 से अधिक अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया है।

कम मरीज हो रहे हैं नोटिफाई

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ। कैलाश बाबू के मुताबिक, जनपद में 1,786 प्राइवेट डाक्टर, नर्सिंग होम और पैथालाजी रजिस्टर्ड हैं। पर इनमें से 400 से भी कम डाक्टर व पैथालाजी द्वारा विभाग को नोटिफिकेशन भेजा जा रहा है, जबकि कई डॉक्टर तो साल में महज 1-2 नोटिफिकेशन ही भेजते हैं। वर्ष 2021 और 2022 की पहली तिमाही के आंकड़ों पर ही गौर करें तो इन प्राइवेट डाक्टरों की लापरवाही साफ नजर आती है। 2021 में पहली तिमाही में प्राइवेट प्लेयर्स ने 2,596 मरीज नोटिफाई किए थे, जो 2022 में घटकर 1,315 रह गए हैं।

दो साल की जेल और जुर्माना

केंद्र सरकार के गजट टीबी नोटिफिकेशन के तहत प्रत्येक केमिस्ट एवं ड्रगिस्ट को भी शेड्यूल एच-1 के तहत टीबी मरीज का ब्योरा रखना होगा और जिला टीबी केंद्र को बताना होगा। गजट में प्रावधान रखे गए हैं कि कोई डाक्टर या नर्सिंग होम या पैथालाजी अगर किसी टीबी मरीज की सूचना जिला टीबी केंद्र से छिपाता है तो उसे दो साल तक की जेल और जुर्माना दोनों हो सकता है। इसके अलावा अब आयुष डाक्टरों को भी जिला टीबी केंद्र पर मरीजों को नोटिफाई करना है। उन्हें भी हर मरीज को रेफर करने पर यही इंसेंटिव दिया जाएगा।