- बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर पहुंची दैनिक जागरण कार्यालय

- फिल्म प्रोड्यूसर आनंद एल। राय और बाल कलाकार रिया भी हुईं शामिल

LUCKNOW: फिल्मी दुनिया बहुत ही बड़ी है। यहां पर सघर्ष करने वाला ही टिक सकता है। सपने सभी को देखने का हक है। सपना देखने वाला कोई छोटा नहीं होता और न ही कोई सपना बहुत बड़ा होता है। यह कहना है बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर का। वह एक फिल्म के सिलसिले में बुधवार को शहर में आई हुई थीं और इस मौके पर वो दैनिक जागरण ऑफिस भी आई। इस दौरान उन्होंने अपनी कई बातें सांझा की।

मैं हीरोइन जैसी नहीं दिखती

अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने कहा कि जब मैं मुबई आई तब मुझे पता चला कि आपको हीरोइन बनने के लिए ग्लैमरस दिखना भी बहुत जरूरी है। कई बार लोगों ने मुझसे कहा कि तुम तो हीरोइन की तरह दिखती ही नहीं हो। लेकिन मैंने कछुए की चाल चली और आज मैं कह सकती हूं कि फिल्मी दुनिया में मेरी एक अंगुली तो सेट हो ही गई है।

सिंगिंग करने का कोई प्लान नहीं

अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने फिल्मों में गाना गाने के सवाल पर कहा कि मेरी आवाज इस लायक नहीं कि मैं गाना गा सकूं। हंसते हुए उन्होंने कहा कि मेरी कोशिश है कि मैं देश के लोगों को अपनी आवाज से परेशान न करूं।

स्क्रिप्ट पर रहता है ध्यान

मैं फिल्मों में ग्लैमरस रोल करने की जगह किरदार और फिल्म की स्क्रिप्ट पर ध्यान देती हूं। मेरी लिए ग्लैमरस रोल मायने नहीं रखता, बस कैरेक्टर दमदार होना चाहिए। अभी हाल में उनकी आने वाली एक फिल्म में उन्होंने मां का किरदार निभाया। उसके बारे में उन्होंने बताया कि मुझसे लोगों ने कहा कि इतनी जल्दी फिल्मों में मां का रोल करना करियर की आत्महत्या करने जैसा है। लेकिन जब मैंने स्टोरी पढ़ी तो मुझे लगा कि इस किरदार को करना चाहिए।

एजुकेशन बदलाव का जरिया

आज के दौर में एजुकेशन ही समाज में बदलाव का जरिया है। शिक्षा के जरिये ही बदलाव लाया जा सकता है। इंसान के पास दो ही चीजें होती हैं। एक किस्मत, दूसरी मेहनत। अगर किस्मत है तो इंसान गरीब नहीं होता इसलिए उसको मेहनत करना चाहिए और यह शिक्षा से ही संभव है।

मुझे कहानी सुनाने का शौक है: आनंद राय

इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, फिर जॉब की और अब फिल्म प्रोड्यूसर बने आनंद एल। राय ने बताया कि मुझे कहानी सुनाने का बहुत शौक था। जॉब के दौरान मैंने सोचा कि ये मुझसे नहीं होगा। इसलिए फिल्मों का रुख कर लिया। कहानी लोगों को एनर्जी देती है। उन्होंने बताया कि फिल्मों के टैक्स फ्री होने का एक फायदा सबसे ज्यादा होता है और वो है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक फिल्म पहुंच जाती है। उन्होंने कहा कि पिछले दस साल में आडियंस काफी बदल गई है। वो अब डायरेक्टर से भी एक कदम आगे चलती है। ट्रेंड से अलग हट कर फिल्म बनाने पर उन्होंने कहा कि मेरी फिल्म देखने वालों का अलग वर्ग है। मेरा मानना है कि अगर फिल्म रियलस्टिक होगी तो उसमें लोगों को अपनी कहानी नजर आती है, इसलिए वो फिल्मों को देखना पसंद करते हैं।

साइकोलिजिस्ट बनना चाहती हैं रिया

शहर की रिया जो मात्र पंद्रह साल की हैं। उन्होंने स्वरा भास्कर की मूवी में उनकी बेटी का किरदार निभाया है। शहर के विकास नगर की रहने वाली रिया ने बताया कि अभी उनको फिल्मों में करियर नहीं बनाना। उन्होंने बताया कि वो पढ़कर एक साइकोलिजिस्ट डॉक्टर बनना चाहती हैं। कथक की छात्र रिया ने कहा कि फिल्म के साथ पढ़ाई को मैनेज करना बहुत ही मुश्किल है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि मैं इस बार बोर्ड का एग्जाम पास कर जाऊंगी। उन्होंने बताया कि मैंने कभी कोई एक्टिंग की क्लास नहीं की, बस ऐसे फिल्म का ऑडिशन दिया और सेलेक्ट हो गई। इसको मेरी किस्मत ही कहिए तो ज्यादा सही रहेगा।