- तीन दिवसीय अवध महोत्सव में अनूप जलोटा ने पेश किए शानदार भजन

- बिरजू महाराज के निर्देशन में उनके दल ने शानदार कथक की प्रस्तुति दी

द्यह्वष्द्मठ्ठश्र2@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

रुष्टयहृह्रङ्ख: संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के तीन दिवसीय वाजिद अली शाह अवध महोत्सव की शुरुआत शुक्रवार को संगीत नाटक अकादमी में हुई। पहले दिन ही इस महोत्सव में अवध के सांस्कृतिक रंगों की झलक दर्शकों को मिली। लोगों ने यहां अवध के गीत-संगीत, व्यंजन और लोक नृत्यों का मजा लिया।

शहनाई से हुआ आगाज

महोत्सव की शुरुआत साहबे आलम की शहनाई की मंगल ध्वनि से हुई। कार्यक्रम के दौरान संगीत नाटक अकादमी के सचिव तरुण राज ने कहा कि अवध की थीम पर आधारित यह उत्सव कला, संस्कृति और विरासत का अनूठा संगम है। पहले दिन कार्यक्रम का संचालन नंदिनी मिश्रा और यतींद्र मिश्रा ने किया।

भजनों की बही बयार

अवध महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत सुप्रसिद्ध भजन गायक अनूप जलोटा ने अपने भजनों से की। उन्होंने ऐसी लागी लगन, मीरा हो गई मगन, अच्युतम् केशवम, रंग दे चुनरिया मेरी, श्याम तेरी वंशी, पुकारे राधा नाम जैसे अपने लोकप्रिय भजनों से महोत्सव में आए सभी लोगों को भक्ति के रंग में रंग दिया।

कथक ने बांधा समां

कार्यक्रम के अगले सोपान में प्रख्यात कथक गुरु एवं नर्तक बिरजू महाराज के निर्देशन में उनके दल ने शानदार कथक की प्रस्तुति दी। जिसमें रूबाई, सादरा, होरी जैसी अवध के संगीत की पारंपरिक रचनाओं पर नृत्य प्रमुखता से शामिल रहा। शाश्वती सेन और दल ने भक्ति रचना भजो रे मनपर नृत्य से कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद दल ने रूबाई और होली की शानदार प्रस्तुतियां गीत-संगीत प्रेमियों के सामने प्रस्तुत कीं। बिरजू महाराज के पुत्र दीपक महाराज ने इस मौके पर एकल प्रस्तुति के तहत पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत करते हुए थाट, उपज की प्रस्तुति की तथा सादरा शेष फन डग पर अभिनय पेश किया।