लखनऊ (ब्यूरो)। संजय गांधी पीजीआई में हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) के टेंडर को लेकर कर्मचारियों की मिलीभगत का आरोप लगा है। जिसके तहत एक ही व्यक्ति की विभिन्न संस्थाओं को टेंडर आवंटित करने का आरोप लगा है। मामले को लेकर निदेशक से शिकायत की गई है। वहीं, मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन द्वारा दो सदस्यीय जांच कमेटी भी गठित कर दी गई है। कमेटी को 15 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।

मामले को लेकर हुई शिकायत

पीजीआई में मरीजों को सस्ती दरों पर दवाएं और उपकरण उपलब्ध कराने के लिए एचआरएफ काउंटर का संचालन किया जाता है। जहां मरीजों को 70 फीसदी तक की छूट पर दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके लिए कई कंपनियां टेंडर में हिस्सा लेती हैं, जो करोड़ों का कारोबार करती हैं। नई दिल्ली निवासी अभय सिंह ने निदेशक प्रो। आरके धीमन को शिकायत पत्र लिखकर टेंडर में खेल किए जाने का आरोप लगाया है।

एक ही व्यक्ति के नाम चार कंपनियां

शिकायती पत्र में लिखा गया है कि एचआरएफ टेंडर के लिए 14 कंपनियों ने आवेदन किया था। जिसमें 10 कंपनियों के आवेदन पर आपत्तियां लगाकर खारिज करते हुए चार कंपनियों को टेंडर दे दिया गया। जिस कंपनी को टेंडर दिया गया है उसने टेंडर नियमों का उल्लंघन किया है, क्योंकि ये चारों कंपनियां एक ही व्यक्ति की हैं, जो कुख्यात एवं दबंग सप्लायर है। यह टेंडर विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत से ही संभव है। आरोप यह भी है कि उक्त कंपनियों द्वारा मार्केट रेट से तीन गुना अधिक देकर राजकीय कोष को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

दो सदस्यीय टीम गठित

शिकायत का संज्ञान लेते हुए शासन स्तर से दो सदस्यीय जांच टीम गठित की गई है। जिसमें अशोक कुमार, विशेष सचिव, चिकित्सा शिक्षा एवं मुकेश कुमार जैन, वित्त अधिकारी लोहिया संस्थान को शामिल किया गया है। जो शिकायतकर्ता द्वारा विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत, सांठगांठ आदि आरोपों का जांच करेगी। कमेटी द्वारा मामले की रिपोर्ट 15 दिनों में शासन का उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।