- मजबूरी का फायदा उठा रहे निजी एंबुलेंस चालक, वसूल रहे मनमाना किराया

- कर्मचारियों ने दी भूख हड़ताल की चेतावनी

- कंपनी ने कई कर्मियों को किया बर्खास्त

- एस्मा एक्ट के तहत आशियाना थाने में मुकदमा दर्ज

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रुष्टयहृह्रङ्ख:

केस 1 - गोरखपुर राजेश कुमार के पैर में फ्रैक्चर होने पर परिजन केजीएमयू पहुंचे। लेकिन, कोई एंबुलेंस न मिलने के कारण निजी वाहन से लेकर पहुंचे। इस दौरान गेट पर गाड़ी रोक दी गई। परिजन उनको कंधे पर उठाकर लेकर गए।

केस 2 - बस्ती निवासी राकेश यादव यूरिन की समस्या को दिखाने पहुंचे। लेकिन, भर्ती नहीं हो सके तो परिजन एंबुलेंस हड़ताल के कारण मजबूरी में उनको ऑटो में बैठाकर बलरामपुर अस्पताल ले गए।

केस 3 - सीतापुर निवासी शोभित भी सरकारी एंबुलेंस ने मिलने के कारण महंगी निजी एंबुलेंस करके दिखाने पहुंचे। ऐसे में उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

राजधानी के तमाम अस्पतालों में मंगलवार का दिन मरीजों के लिए काफी परेशानी भरा रहा, क्योंकि 102 व 108 एंबुलेंस कर्मचारियों का हड़ताल की वजह से मरीजों को एंबुलेंस नहीं मिली। ऐसे में ऑटो, टेंपो, निजी वाहन व निजी एंबुलेंस करके मरीज अस्पतालों में दिखाने के लिए पहुंचे। वहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा एस्मा लागू होने पर सेवा प्रदाता कंपनी जीवीकेईएमआरआई को नोटिस जारी करने पर कंपनी ने यूनियन के कई पदाधिकारियों को बर्खास्त करने की जानकारी दी। हालांकि सीएमओ स्तर पर कुछ एंबुलेंस चलाकर थोड़ी राहत देने का काम किया गया।

मरीजों की जान पर बन आई

एंबुलेंस का संचालन का काम पहले देख रही जीवीकेईएमआरआई से हटाकर, टेंडर अब जिगित्जा हेल्थकेयर लिमिटेड को दिया गया है। कंपनी द्वारा नई भर्ती करने पर पुराने कर्मचारी आक्रोशित हो उठे और बीते दो दिन से प्रदेश में हड़ताल पर हैं। जिसकी वजह से मरीजों की जान पर बन आई है। केजीएमयू, लोहिया, सिविल और बलरामपुर अस्पताल समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में पहुंचने के लिए मरीजों को घंटों मशक्कत करनी पड़ी। आलम यह था कि रेफर होकर आये मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी। सरकारी एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से लोगों को महंगी निजी एंबुलेंस या निजी वाहन करके आने को मजबूर होना पड़ा। कई तीमारदार घंटों एंबुलेंस के इंतजार में अस्पताल से लेकर फोन तक करते रहे। लेकिन, उनको कही से भी राहत नहीं मिली। ऐसे में मजबूरी में उनको थोड़ी दूरी तय करने के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ी। तो वहीं अस्पतालों में निजी वाहनों व एंबुलेंस की एंट्री बैन होने के कारण मजबूरन तीमारदारों को अपने-अपने मरीजों को कंधे पर उठाकर ले जाना पड़ा। जिसकी वजह से मरीजों को काफी दर्द सहना पड़ा। लेकिन, उनके दर्द को दूर करने वाला कोई नहीं था।

एस्मा के तहत कार्रवाई

सोमवार को हड़ताल की सूचना मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग, जीवीकेईएमआरआई और जिगित्जा कंपनी के अधिकारियों की एंबुलेंस संघ से वार्ता हुई। उन्हें आश्वस्त किया गया कि नौकरी से नहीं निकाला जाएगा। बैठक में एनएचएम एमडी अपर्णा यू और संघ नेताओं के बीच समझौता भी हुआ। लेकिन, इसके बावजूद कर्मचारी मंगलवार को भी हड़ताल पर चले गये। वही जिगित्जा कंपनी के मार्केटिंग हेड तरुण सिंह ने बताया कि कंपनी की तरफ कर्मीयो को नही निकाला गया हैं। दूसरी ओर कर्मचारी संगठन के हनुमान पांडेय, सुशील पांडेय, शरद यादव, सुनील सचान समेत कई कर्मचारियों को नोटिस जारी करते हुए तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया। साथ ही एस्मा एक्ट के तहत कर्मीयो पर आशियाना थाने में मुकदमा दर्ज किया गया हैं। साथ ही हड़ताल कर रहे कर्मचारियों को तुरंत काम पर लौटने के लिए आगाह किया गया है।

कोट

स्वास्थ्य विभाग की ओर से अतिरिक्त एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है। मरीजों को कोई दिक्कत न हो इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। हड़ताल खत्म कराने के लिए प्रयास लगातार जारी हैं।

डॉ। मनोज अग्रवाल, सीएमओ