लखनऊ (ब्यूरो)। महज पांच हजार रुपये में कानून का मान और अपना ईमान बेचने वाला रिश्वतखोर दारोगा सलाखों के पीछे पहुंच गया। जिस चिनहट थाने में वह रोज सीना तानकर आता था, एंटी करप्शन टीम ने उसी कैंपस से उसे पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते न केवल रंगे हाथ दबोचा बल्कि घसीट कर उसे बाहर भी ले जाया गया। गाजीपुर थाने में आरोपी दारोगा के खिलाफ केस दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

धारा बढ़ाने के लिए मांगी रिश्वत

एंटी करप्शन अधिकारी ने बताया कि चिनहट के गंगा विहार निवासी मनोज कुमार मिश्रा ने भाई मोनू मिश्रा द्वारा मारपीट किये जाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसमें धारा 323, 504 व 506 के तहत मोनू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। उसी मामले में कार्रवाई को लेकर दारोगा प्रदीप यादव धारा 30 बढ़ाने को लेकर कई दिनों से पांच हजार रुपये की मांग कर रहा था। इसके बाद पीड़ित ने दारोगा के खिलाफ जाल बिछाया और फिर उसे रंगे हाथ रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया।

भाई ने किया भाई को लहूलुहान

मनोज व मोनू का विवाद हुआ था। मोनू ने मनोज के सिर पर किसी चीज से वार कर दिया था, जिससे उनका सिर फट गया और वह लहूलुहान हो गये थे। उस दौरान शिकायत पर मोनू को थाने पर बैठा लिया गया और कार्रवाई का आश्वासन दिया गया था। पर पीडि़त का आरोप है कि मोनू को पैसे लेने के बाद थाने से बिना कार्रवाई के ही छोड़ दिया गया और गिरफ्तारी की धारा न होने का हवाला दिया गया। आरोपी को जेल भेजने के लिए दारोगा ने धारा बढ़ाने की बात की और इसके एवज में पांच हजार रुपये मांगे।

पैसे दो तो भाई को जेल भेज देंगे

मनोज ने बताया कि मारपीट और मुकदमे के बाद उसका अस्पताल में मेडिकल भी हुआ था। दारोगा बार-बार कहता रहा कि उसे मेडिकल चाहिए तभी वह कुछ करने में सक्षम होगा। पीडि़त ने स्वास्थ्य विभाग का मेडिकल होने की बात उससे कही कि वह मेडिकल सिर्फ पुलिसवालों को ही मिलता है, वह कहां से मेडिकल ला सकता है। इसके बाद प्रदीप ने कहा कि पांच हजार दो तो भाई को जेल भेज देंगे।