लखनऊ (ब्यूरो)। प्रदेश में बिजली चोरों के खिलाफ सख्त एक्शन के लिए योगी सरकार ने सभी जिलों में एंटी पावर थेफ्ट थानों की स्थापना की थी। थानों में सब इंस्पेक्टर, हेड कांस्टेबल, कांस्टेबल और आउटसोर्सिंग कर्मियों की तैनाती की गई थी। ये थाने मैन पावर की कमी से एफआईआर और विवेचना के बोझ तले दब गए हैं।

दो साल पहले बनाए गए

6 जून 2018 को कैबिनेट ने उन थानों को खोलने का प्रस्ताव पास किया और 11 जून को इन थानों के सृजन की अधिसूचना जारी की गई। जुलाई 2019 को 2050 पुलिसकर्मियों के पद सृजन किए गए। इस नई सुविधा में पावर कारपोरेशन को छापे मारने के लिए स्थानीय फोर्स की जरूरत नहीं होनी थी और न ही वहां केस दर्ज कराने जाना था। इन थानों में दर्ज होने वाले केस की संख्या बढ़ती जाने से वहां तैनात एक ही विवेचक पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

कुल कितनी फोर्स होनी चाहिए

पद संख्या

इंस्पेक्टर 30

सब इंस्पेक्टर 225

हेड कांस्टेबल 600

हर जिले में मौजूद फोर्स

पद संख्या

सब इंस्पेक्टर 1

हेड कांस्टेबल 3

कांस्टेबल 5

1 लाख से अधिक केस हर साल

वर्ष एफआईआर

2020 1 लाख 75 हजार

2021 1 लाख 40 हजार

नोट- सिर्फ एक तिहाई मामलों की ही हो सकी है विवेचना। विवेचना के लिए हर थाने में है एक सब इंस्पेक्टर।

फील्ड वर्कर्स भी विवेचना में

हर साल विवेचना के बढ़ते मामलों को देखते हुए रेड करने वाले कर्मचारियों को भी इस काम में लगा दिया गया। वहीं अब फिर जब रेड तेजी से की जा रही है तो फिर विवेचना का सारा बोझ एक ही सब इंस्पेक्टर पर आ गया है।

पुलिस मुख्यालय को भेजा प्रस्ताव

मुकदमों की जल्द विवेचना कर निस्तारित किया जा सके, इसके लिए पुलिस मुख्यालय को एक प्रस्ताव भेजा गया है। अनुरोध किया गया है कि इन थानों में दर्ज होने वाली धारा 135 व 138 के तहत एफआईआर की विवेचना का अधिकार इन थानों में तैनात हेड कांस्टेबल को दिया जाए।