- बरकतों को हासिल करने का है ये महीना

LUCKNOW:

रमजान उल मुबारक अल्ला की रहमतों, बरकतों और मगफिरतों को हासिल करने और दोजक की आग से बचाने का महीना है., जो पूरी मोहब्बत के साथ रोजा रखने वालों और दुनियावी ख्वाहिशात से मुंह मोड़ कर हरदम अल्लाह की बारगाह में हाजिर रहकर कुरान मजीद की तिलावत और नेक कामों में मसरूफ रहकर हासिल होता है। रमजान के महीने जिसमें हर नेकी का बदला 70 गुना मिलता है। ये बातें इदारा ए शरइया फिरंगी महल के जनरल सेक्रेटरी मौलाना अफ्फान मियां फिरंगी महली ने बताई।

गरीबों की मदद करें

मौलाना अफ्फान मियां फिरंगी महली ने कहा कि ईद के दिन या ईद से पहले साहिबे निसाब के ऊपर अपने और अपने घर के अफराद की तरफ से 50 रुपये कीमत प्रति व्यक्ति फितरा दिया जाए। अल्लाह हम सब पर अपना फजल फरमाए। दुनिया व आखिरत की भलाई से सरफराज फरमाए। खासतौर से कोरोना बीमारी से जब हमारे भाई परेशानी और बीमारी में मुब्तिला हो तो ऐसी हालत में यह बात अच्छी नहीं लगती कि हम नये कपड़े पहने और खुशियां मनाएं। हम कोविड गाइडलाइन का अमल करें। औरतों और बच्चों को बाजार में एकत्र न होने दें।

सुन्नी सवाल-जवाब

सवाल- जमीन के लिए जो खाद या बीच खरीद कर रख लिया है, क्या उस पर भी जकात वाजिब है।

जवाब- उस पर जकात वाजिब नहीं है।

सवाल- रोजे का फिदया अपनी बेटी, नवासी, पोता, पोती, दामाद वगैरा को देना सही है या नहीं।

जवाब- रोजे का फिदया अपनी औलाद और अपनी औलाद की औलाद को देना जायज नहीं।

सवाल- गत वर्ष जकात अदा नहीं की, अब दूसरा साल शुरू हो गया तो नए साल का हिसाब किस तरह करें।

जवाब- जिस तारीख को पहला साल खत्म हुआ उस दिन जितना माल था उस पर पहले साल की जकात फर्ज हुई अगले दिन से दूसरा साल शुरू समझा जायेगा।

सवाल- किया दौरान ऐतिकाफ कुरान पाक के इलावा दीनी किताबों का अध्ययन कर सकते है।

जवाब- तमाम दीनी किताबों का अध्ययन कर सकते हैं।

सवाल- गिरवी रखी हुई चीज की जकात किस पर वाजिब है।

जवाब- न देने वाले पर न ही रखने वाले पर है।

शिया सवाल-जवाब

सवाल- क्या फितरे का पैसा देने के बदले जरूरतमंद को दवाएं, किताबें या दूसरी जिंदगी की जरूरियात की चीजें खरीद कर दी जा सकती हैं।

जवाब- ऐसा नहीं कर सकते हैं। फितरे का पैसा या अनाज ही पहुंचाई जाए फिर उसका इस्तेमाल उनकी जरूरत पर निर्भर करेगा।

सवाल- क्या फितरे का पैसा मस्जिद के निर्माण हेतु दिया जा सकता है।

जवाब- फितरे का पैसा केवल यतीम, गरीब और फकीर को दिया जाएगा।

सवाल- क्या दोपहर की नमाज के साथ ईद की नमाज पढ़ी जा सकती है।

जवाब- ईद की नमाज का समय सूर्योदय के बाद से दोपहर से पूर्व तक है।

सवाल- क्या ईद की नमाज वाजिब की नियत से पढ़ी जाएगी।

जवाब- ईद की नमाज गैबते इमाम अस। मे मुस्तहब है लिहाजा कुरबत की नियत से होगी।

सवाल- क्या ईद की नमाज घर में अकेले पढ़ सकते हैं।

जवाब- ईद की नमाज घर मे अकेले पढ़ सकते हैं।

इफ्तार के दौरान अल्लाह के हुजूर में मुल्क व मिलत की तरक्की और सलामती की दुआ करते हैं। इसके साथ इस कोरोना वायरस महामारी के खात्मे की भी दुआ करते हैं।

- मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली, काजी-ए-शहर

इस रमजान में अल्लाह की ज्यादा से ज्यादा इबादत करते हुए यही दुआ करते हैं कि कोरोना नामक वबा का जल्द से जल्द खात्मा हो, ताकि हम सभी की जिंदगी पहले की तरह नार्मल हो सके।

मो। उमर

सुन्नी हेल्पलाइन

लोग अपने सवालात दोपहर 2 बजे से 4 बजे के दौरान इन नंबरों 9415023970, 9335929670, 9415102947, 7007705774, 9140427677 पर सवाल पूछ सकते हैं।

शिया हेल्पलाइन

महिलाओं के लिए हेल्प लाइन नंबर 6386897124 है। जबकि शिया हेल्प लाइन के लिए सुबह 10 से 12 बजे तक 9415580936, 9839097407 नंबर पर संपर्क करें।