लखनऊ (ब्यूरो)। परिसीमन की तस्वीर साफ होने के बाद अब संभावित पार्षद प्रत्याशियों की ओर से प्रचार में ताकत झोंकने का भी काम शुरू कर दिया गया है। जो नए इलाके उनके वार्ड में शामिल हुए हैैं, वहां के वोटर्स को अपने पक्ष में लाने के लिए रणनीति बनाने में तेजी लाई जा रही है।

अभी तक था कंफ्यूजन

अभी तक परिसीमन की तस्वीर साफ नहीं थी। इसकी वजह से संभावित पार्षद प्रत्याशी यह तय नहीं कर पा रहे थे कि उन्हें किस एरिया में प्रचार करना है और किसमें नहीं। अब परिसीमन की तस्वीर साफ हो गई है, जिसके बाद संभावित प्रत्याशियों ने नए इलाकों पर ध्यान देना शुरू कर दिया है।

वोटर्स पर फोकस

परिसीमन में साफ है कि ज्यादातर वार्डों का विस्तार हुआ है और करीब आधा दर्जन वार्ड ऐसे हैैं, जो समाप्त हुए हैैं। इनका एरिया दूसरे विस्तारित वार्ड में समायोजित हो गया है। ऐसे में पार्षद प्रत्याशियों के सामने खासी चुनौती भी है। जिस इलाके में वे रहते हैैं, वहां तो वोटर्स को अपने पक्ष में ला सकते हैैं लेकिन जो इलाके वार्ड में नए जुड़े हैैं, उनके वोटर्स को अपने पक्ष में लाना चुनौती भरा काम होगा।

वोटर लिस्ट अपडेशन

गुरुवार को परिसीमन स्पष्ट होने के बाद देर शाम से ही संभावित पार्षद प्रत्याशियों ने नए इलाकों में भ्रमण करना भी शुरू कर दिया। पार्षद प्रत्याशियों का यही प्रयास है कि नए इलाकों में जाकर वोटर्स का विश्वास जीतें। पूरी संभावना है कि शुक्रवार से वार्डों में चुनाव प्रचार में तेजी आएगी। इसकी वजह यह है कि अब वार्डों का एरिया स्पष्ट हो चुका है और अब कंफ्यूजन की कोई स्थिति नहीं है।

दो माह का समय

वैसे तो अभी निकाय चुनाव की डेट फाइनल नहीं हुई है, लेकिन इतना साफ है कि दो माह से भी कम समय बचा है। ऐसे में संभावित पार्षद प्रत्याशियों के सामने इतने कम समय में खुद को स्थापित करने की चुनौती होगी साथ ही वोटर्स का विश्वास भी जीतना होगा। जो ऐसा कर पाएगा, निकाय चुनाव में जीत उसकी ही होगी।

सीट को लेकर अभी कंफ्यूजन

भले ही परिसीमन की तस्वीर साफ हो गई हो लेकिन अभी वार्ड की सीट को लेकर कंफ्यूजन बरकरार है। हालांकि, संभावित पार्षद प्रत्याशी इस पर बहुत फोकस नहीं कर रहे हैैं। इस समय उनका पूरा ध्यान अधिक से अधिक वोटर्स को अपने पक्ष में लाने पर है। सीट के कंफ्यूजन को लेकर पार्षद प्रत्याशी नए तरह से रणनीति बना चुके हैैं और उसके आधार पर ही चुनावी प्रचार कर रहे हैैं। अगर महिला सीट हो जाती है तो भी उन्हें कोई टेंशन नहीं है। इसकी वजह यह है कि वे खुद का तो प्रचार कर ही रहे हैैं साथ में अपने परिवार की महिला सदस्य के नाम को भी जनता के बीच स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैैं, ताकि अगर उनके वार्ड की सीट महिला हो जाती है तो परिवार की महिला सदस्य को चुनावी मैदान में उतार सकें।