लखनऊ (ब्यूरो)। डीसीपी मध्य अपर्णा गौतम ने बताया कि गिरफ्तार चोरों में सीतापुर लहरपुर के भदफर गांव का रहने वाला राजू तिवारी और उनका भाई शुभम है। दोनों बाराबंकी के फतेपुर पुरछेदा में रहते थे। राजू पहले इसी कंपनी में नौकरी करता था। तीन माह पहले ही उसने नौकरी छोड़ दी थी। उसे कंपनी के बारे में हर एक जानकारी थी। चोरों के पास से बरामद की गई ज्वैलरी में 59 नग गोल्ड व डायमंड ज्वैलरी थी, जिसकी कीमत करीब 10 लाख रुपये है। इसके अलावा एक तमंचा, दो कारतूस, दो हजार रुपये और एक कंबल बरामद किया गया है।

सहारागंज के पास की थी वारदात
इंस्पेक्टर हजरतगंज श्यामबाबू शुक्ला ने बताया कि तीन जनवरी को कंपनी के लोग पिकअप में माल लादकर डिलीवरी देने के लिए निकले थे। चालक और कर्मचारियों ने सहारागंज के पास गाड़ी रोकी। उन्हें यहां एक डिलीवरी देनी थी। चालक बाहर गाड़ी से उतरकर बाहर खड़ा था। कर्मचारी डिलीवरी देने गया था। उसी समय राजू अपने भाई शिवम के साथ पहुंचा। उसने कुछ दूर पर बाइक रोक दी। राजू बाइक से उतरकर पिकअप के पास पहुंचा। उसे कंपनी के पैकेट की कोडिंग के बारे में जानकारी थी। उसने कोडिंग देखकर एक बाक्स उठा लिया।

सीसीटीवी से पकड़े गए
इसके बाद भाई के साथ गाड़ी पर बैठा और चला गया। कंपनी के लोग जब ज्वैलरी शोरूम पर डिलीवरी लेकर पहुंचे तो पैकेट उस कोडिंग का पैकेट नहीं था। इसके बाद उन्होंने कंपनी में जाकर छानबीन की पैकेट नहीं मिला। पैकेट में हीरे और सोने की ज्वैलरी थी। इसके बाद कंपनी के हिमांशु मिश्र ने तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस टीम लगाई गई। पड़ताल में रास्ते के फुटेज खंगाले गए। सर्विलांस की मदद ली गई। सर्विलांस और फुटेज के आधार पर चोरों को पकड़ा गया।

महंगे आईटम की कोडिंग पता थी
इंस्पेक्टर ने बताया कि कंपनी के लोग महंगे और सस्ते आईटम के पैकेट पर अलग-अलग कोडिंग करते थे। जिससे यह जानकारी होती थी कि किस पैकेट में महंगा और किसमें सस्ता आईटम है। ज्वैलरी बॉक्स को राजू ने कोडिंग के आधार पर उठाया था। जब उसने घर जाकर उसे खोला तो उसमें उसे ज्वैलरी मिली। इसके बाद उसने घर की फर्श खोदकर उसके नीचे ज्वैलरी दबा दी थी। गिरफ्तारी के बाद जब दोनों से कड़ाई से पूछताछ हुई तो उन्होंने इसकी जानकारी दी। इसके बाद मौके से बरामदगी की गई।