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कन्या पूजन का मुहूर्त

- शनिवार सुबह 11:17 बजे तक हवन फिर कन्या पूजन

- रविवार को सुबह 11:35 के पहले कन्या पूजन

- शुक्रवार को मां के कालरात्रि स्वरूप की भक्तों ने की पूजा

LUCKNOW: राजधानी में एक ओर जहां विभिन्न दुर्गा पंडालों में सभी प्रोटोकॉल के साथ मां की मूर्ति स्थापित की जा चुकी है। तो वहीं शुक्रवार को मां के कालरात्रि स्वरूप की पूजा-अर्चना की गई। अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन का विशेष विधान है। जहां भक्त कन्या पूजन के बाद व्रत का पारण करते है।

सुबह 11:17 के बाद नवमी

आचार्य राकेश पांडेय ने बताया कि अश्विन शुक्ल नवमी इस बार अष्टमी तिथि के साथ 24 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी। अष्टमी युक्त नवमी विशेष शुभकारी है। अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि मां इन कन्याओं के माध्यम से ही अपना पूजन स्वीकार करती हैं। ऐसे में 24 अक्टूबर को सुबह 11:17 बजे तक हवन और फिर नवमी का कन्या पूजन किया जा सकता है। साथ ही 25 अक्टूबर की सुबह 11:35 के बाद दशमी लग जाएगा। ऐसे में कन्या पूजन इससे पहले की जा सकती है।

सुरक्षा का रखें पूरा ध्यान

मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्यागिरि ने बताया कि कन्या पूजन पर घर बुलाने से बेहतर है कि कन्याओं को सूखा राशन दिया जाए। इसके लिए मंदिर के आसपास की कन्याओं को चिन्हित किया गया है, जिनको गर्म कपड़े दिए जाएंगे। वहीं बीकेटी स्थित 51 शक्तिपीठ में भी कन्याओं को कन्या पूजन के लिए नहीं बुलाया जाएगा। संडे को जो कन्याएं मंदिर में आएंगी उनको दिव्य भोग अर्पित किया जाएगा। रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानंद ने बताया कि 24 अक्टूबर को होने वाले कुमारी पूजन के लिए 10 साल से छोटी कन्या का कोविड टेस्ट कराया गया है और अनुमति ले ली गई है। माता स्वरूप में उन्हीं का कुमारी पूजन किया जाएगा।

कन्या पूजन का महत्व

कन्याओं को देवी का स्वरूप माना जाता है, इसलिए नौ कन्याओं की पूजा की जाती है। दो वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या पूजन का विधान है। दो वर्ष की कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छह वर्ष की बालिका, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की शांभवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। कुमारी पूजन से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज प्राप्त होता है।

ऐसे करें कन्या पूजन

नवरात्रि में कन्या पूजन पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले कन्याओं के पैर धुलवाकर उन्हें साफ आसन पर बैठाएं। हाथों पर मौली बांधें और माथे पर तिलक लगाएं। इसके बाद हलवा, पूरी व चना का भोग लगाएं। सभी कन्याओं को लाल चुनरी पहनाएं। भोग के बाद कन्याओं को दक्षिणा अवश्य दें।

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पंडालों में दर्शन को पहुंचे लोग

ट्रांसगोमती, चारबाग, कैसरबाग, मॉडल हाउस, इंदिरा नगर, गोमती नगर, लाटूश रोड आदि समितियों द्वारा लगाई गई दुर्गा प्रतिमाओं के दर्शनों के लिए भक्त पहुंचे। इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा गया। थर्मल स्कैनिंग और हैंड सेनेटाइजेशन के बाद ही लोगों को पंडाल में प्रवेश दिया गया। किसी भी समिति की ओर से लोगों को प्रसाद व भोग का वितरण नहीं किया गया। भोग सिर्फ समिति के लोगों को ही दिया गया।